नवादा : मानवीय मूल्यों से बेशकीमती हुआ शराब जांच, कुव्यवस्था से लोगों को हो रही परेशानी, शराब जांच के दौरान जाम में घंटों फंसा रहा एंबुलेंस, परेशान रहा ब्रेम हैमरेज का मरीज

Patna Desk

NEWSPR डेस्क: नवादा : रजौली प्रखण्ड के चितरकोली पंचायत अवस्थित समेकित जांच चौकी पर शराब को लेकर झारखण्ड से आने वाली छोटी व बड़ी वाहनों की सघन जांच उत्पाद विभाग व पुलिस बल द्वारा चौबीसों घण्टे की जाती है। धीमी शराब जांच से वाहनों की लम्बी कतारें होना आम बात है। वाहनों की लम्बी कतारों से जांच चौकी से लेकर दिबौर तक प्रत्येक दिन भयंकर जाम लगता है। गुरुवार की संध्या लगभग सवा सात बजे रांची से पटना जा रही एम्बुलेंस संख्या जेएच01सीई0744 इस जाम में फंस गई। एम्बुलेंस में ब्रेन हैमरेज के मरीज के साथ उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो रखा था।हालांकि ट्रक चालकों व यात्री वाहन में फंसे यात्रियों द्वारा एम्बुलेंस को रास्ता दिलवाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। तब जाकर एम्बुलेंस को जाम से बाहर निकाला गया। एम्बुलेंस चालक ने बताया कि मात्र 3 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 3 घण्टे समय लग गए।इतने समय में तो वे पटना पहुंच चुके रहते। परिजनों को जब पता चला कि शराब जांच के कारण जाम है तो उनका कहना था कि शराब,मानवीय मूल्यों से बढ़कर है क्या। जबकि एम्बुलेंस में पड़ा मरीज जीवन और मौत के बीच जूझ रहा है।

अंतर राजकीय व्यापारियों को हो रही परेशानी : रजौली प्रखण्ड व आसपास के सैकड़ों लोग झारखण्ड के कोडरमा जिले में व्यापार कर रहे हैं। जिनका प्रत्येक दिन के सुबह-शाम आवागमन कोडरमा से रजौली व रजौली से कोडरमा होता है।बाजार निवासी मो शफिरूद्दीन की प्लास्टिक व जेनरल स्टोर की दुकान कोडरमा में है। पचम्बा निवासी अभिनव कुमार की होमियोपैथी की दुकान तिलैया में है।वे लोग सुबह जब घर से निकलते हैं तो हमेशा जाम का डर सताये रहता है।कि कहीं जाम के वजह से दुकान खोलने में देर न हो जाये।वहीं शाम को दुकान बन्द कर घर लौटते समय भी डर रहता है कि पता नहीं कितनी रात्रि तक घर पहुंचेंगे।बहुतों बार ऐसा हुआ है कि शाम को दुकान बंद करके कोडरमा से चले हैं व आधी रात्रि को घर पहुंचे हैं।

सिर्फ वीवीआइपी लोगों को निजात दिलाती है पुलिस : शराब जांच के कारण चितरकोली अवस्थित जांच चौकी से लेकर गढ़ दिबौर तक की जाम समस्या से आम लोगों के साथ साथ वीवीआइपी लोग भी परेशान हैं। फर्क बस इतना है कि जब वीवीआइपी लोगों का आवागमन होना होता है तो जाम को हटाने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की जाती है।साथ ही वीवीआइपी लोगों के वाहनों का स्कोटिंग पुलिस अपने वाहनों से कर जाम से निजात दिलाते हैं।वीवीआइपी के गुजरते ही सामान्य गाड़ियां पुनः जाम से निकलने के क्रम में ओवरटेक कर जाम की समस्या को और जटिल बना देते हैं।जिसकी सुध लेने के लिए न तो पुलिस होती है और न ही अन्य सरकारी महकमे के कर्मी।

जाम की समस्या ले रही है स्थायी रूप : शराब जांच के कारण जाम की समस्या एक दिन की नहीं है। बल्कि जबसे उत्पाद विभाग को सघन जांच के आदेश मिले हैं। तबसे जाम की समस्या लगातार देखी जा रही है। ऐसे में कहना ये लाजमी है कि जाम की समस्या स्थायी रूप लेते जा रही है।पिछले साल कोरोना के दूसरे लहर में दर्जनों ऑक्सीजन गाड़ियां जाम के कारण फंसी रहा करती थी। जिसे जाम से निजात दिलाने डीएम व एसपी,एसडीओ,डीएसपी के अलावे अन्य सरकारी महकमे के लोगों को घण्टों जद्दोजहद के बाद निकाल पाते थे।हालांकि डीएम यशपाल मीणा द्वारा बारबार मालवाहक वाहनों को एक कतार में रखकर जांच चौकी पर शराब जांच करने का दिशा निर्देश दिया गया।साथ ही इमरजेंसी वाहनों व यात्री वाहनों को दूसरे कतार से निकलने की बात भी कही गई।परन्तु वाहनों के एक-दूसरे से ओवरटेकिंग के वजह से जांच चौकी से महज 200 मीटर दूरी से ही जाम लगना शुरू हो जाता है।और लगने वाले इस जाम की समस्या से निदान दिलाने वाला कोई नहीं है।फलतः वाहनों की लंबी कतारें लग जाती है।
आमलोगों की सुनने वाला कोई नहीं : जाम की समस्या से आम लोगों को होने वाली परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं है।जाम में फंसे आम लोगों द्वारा थाना,डीएसपी व एसडीओ को दूरभाष के माध्यम से जानकारी देने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है।जबकि सांसद व विधायक के साथ सभी स्थानीय पदाधिकारी गण जाम की समस्या से पूरी तरह परिचित हैं।बावजूद जाम की समस्या का निदान लम्बे समयों से नहीं हो पा रहा है।इस प्रकार आम जनता कोडरमा के रास्ते झारखण्ड प्रवेश करने व बिहार प्रवेश करने के लिए राम भरोसे जाम में पड़े रहते हैं।

नवादा से दिनेश कुमार की रिपोर्ट

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