NEWSPR डेस्क। मुजफ्फरपुर पिछले दो सालों से नवरूणा के माता-पिता सीबीआइ से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं । उनकी यह कानूनी लड़ाई बस यह जानने के लिए है कि अपनी पांच साल दस महीने की जांच में सीबीआइ को आखिर साक्ष्य क्यों नहीं मिला। उन्हें लगता है कि सीबीआइ उनसे कुछ छिपा रही है। वह उन बंद लिफाफों को खोलना नहीं चाह रही है, जो उसने समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। नवरूणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती व मां मैत्रेयी चक्रवर्ती पिछले दो सालों से इन्हीं लि’फाफों को कोर्ट के समक्ष खोलवाने के लिए कोर्ट का चक्कर लगा रही हैं।
कोरोना के कारण यह जांच अब तक प्रभावित है। फाइल फोटो17/18 सितंबर 2012 की रात नगर थाना क्षेत्र के जवाहरलाल रोड स्थित आवास से सोई अवस्था में 13 वर्षीय नवरूणा को अगवा कर लिया गया। ढाई महीने बाद उसके घर निकट नाला से मानव कंकाल मिला। डीएनए टेस्ट में यह कंकाल नवरूणा का साबित हुआ। शुरू में इसकी जांच पुलिस ने की। इसके बाद इस घटना की जांच सीआइडी ने की। जब दोनों एजेंसियों की जांच में कोई नतीजा नहीं निकला तो वर्ष 2013 में इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई । फरवरी 2014 से सीबीआइ इस मामले की जांच शुरू की। लगभग पांच साल दस महीने की जांच के बाद 24 नवंबर 2020 को सी’बीआइ ने विशेष कोर्ट में अंतिम प्रपत्र दाखिल कर दिया।
46 पेज के इस अंतिम प्रपत्र में 86 बिंदुओं को शामिल किया गया। इसमें सीबीआइ ने कहा कि उसे इस मामले की जांच में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला, इसलिए इस मामले की जांच बंद की जा रही है। सीबीआइ की इसी क्लोजर रिपोर्ट के विरुद्ध नवरूणा के माता-पिता कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। नवरूणा के पिता के अधिवक्ता शरद सिन्हा कहते हैं सीबीआइ उन चार लि’फाफों को खोलना नहीं चाह रही है। इसमें ही जांच में आए साक्ष्य हैं । उन्होंने कोर्ट से प्रार्थना की है कि मौजूदा साक्ष्य के आधार पर संज्ञान ले या दोबारा जां’च का आदेश दे। इसको लेकर वे दो साल से कोर्ट के समक्ष हैं। कोरोना के कारण इस मामले की सुनवाई में देरी हुई है। नवरूणा के पिता अतुल्य चक्रवर्ती अस्वस्थ हैं और उपचार कराने पत्नी के साथ कोलकाता में हैं। उन्होंने मोबाइल पर बताया कि सीबीआइ राजनीतिक प्रभाव में काम कर रही है। उन्होंने जांच में सीबीआइ को हर संभव सहयोग किया, लेकिन सी’बीआइ इस मामले को सुलझाना नहीं चाह रही थी। एक बार फिर से कोर्ट की शरण में है। कोर्ट से उन्हें न्या’य जरूर मिलेगा।