नगर निगम का नया कारनामा, 1000 गाड़ियां हर माह पी रहीं 4 करोड़ का तेल, पटना में फिर भी घरों से नहीं उठ रहा है कचरा

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। पटना नगर निगम की सफाई वाली गाड़ियां हर माह 4 करोड़ का डीजल पी रही हैं। इसके बाद भी पटना के हर घर से कचरा नहीं उठ रहा है। फर्जी लॉगबुक में हर गली मोहल्ले से कचरा उठाने का डाटा भर दिया जा रहा है और गाड़ियां कागजों पर दौड़ रही हैं। लाख प्रयास के बाद भी नगर निगम सफाई की व्यवस्था नहीं सुधार पाया है। रविवार को रैंकिंग को लेकर आयोजित कार्यक्रम में आए 24 लोगों ने इस पर सवाल खड़े किये हैे।

हर किसी का सवाल यही था कि गाड़ी कचरा उठाने में काफी मनमानी कर रही है। इससे घरों में ही कचरा डंप हो रहा है जो कोरोना काल में बीमारी का बड़ा खतरा बन सकता है। स्वच्छता रैंकिंग में निचले पायदान पर रहे पटना नगर निगम ने दिए सफाई के सर्टिफिकेट, अपना कॉम्प्लेक्स ही रैंकिंग से बाहर

नगर निगम में सफाई के लिए 1000 गाड़ियों को लगाया गया है। दावा किया जाता है कि इसकी हर स्तर से निगरानी की जाती है। नगर निगम सिर्फ गाड़ियों के डीजल पर हर माह चार करोड़ रुपया फूंकता है। लेकिन सफाई व्यवस्था से जनता को लाभ नहीं है। अब सवाल यह है कि डीजल का पैसा कौन खा रहा है। बिना चले गाड़ियों को डीजल का पैसा देने वाले जिम्मेदार अधिकारी या फिर बिना चले गाड़ियों का लागबुक चेक करने वाले सुपरवाइजर।

वर्षों से यही खेल चल रहा है, लेकिन नगर निगम के अफसर जड़ नहीं खोज पाए हैं कि पैसा खा कौन रहा है? नगर निगम को हमेशा यह शिकायत मिलती है कि गाड़ियां हर दिन मोहल्लों में नहीं जाती है। सप्ताह में दो से तीन दिनों का गैप होता है। इससे वह डीजल के मद का पैसा बचा लेती हैं। इसमें चालक और सफाई कर्मियों की मिलीभगत का बड़ा खेल है।

गाड़ियां जब मोहल्ले में नहीं आती हैं तो डस्टबिन भी भर जाते हैं। इससे लोग मोहल्लों में ही इधर उधर कचरा फेंकते हैं। इससे गंदगी फैलती है, जिस कारण से पटना में वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। पटना का कोई भी मोहल्ला ऐसा नहीं है, जहां के लोग निगम की गाड़ियों से संतुष्ट दिख रहे हों।

रविवार को स्वच्छता सर्वे के बाद प्रमाण पत्र वितरण के दौरान आए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल, होटल मौर्या लोक के मैनेजर बीडी सिंह, पारस हॉस्पिटल के अभिषेक, पावर ग्रिड के एसके सिंह सहित एक दर्जन लोगों ने नगर आयुक्त से शिकायत की है कि कचरे वाली गाड़ी मनमानी कर रही है। जब तक पटना का कचरा सही ढंग से नहीं उठता है, तब तक ऐसे ही हालात बने रहेंगे। पटना को स्मार्ट ऐसी स्थिति में कैसे कहा जा सकता है। जब घरों से या संस्थानों से कचरा नहीं उठेगा तो प्रदूषण के साथ संक्रमण का खतरा बढ़ेगा।

नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा का कहना है कि शिकायत है। बिना चले ही गाड़ियां डीजल का पैसा उठा रही हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए अब हर घर में क्यूआर कोड लगाया जा रहा है। इसके साथ ही गाड़ियों पर भी जीपीएस रहेगा। 500 गाड़ियों में जीपीएस लगा दिया गया है। मानीटरिंग के लिए मौर्या टॉवर में सेंटर बनाया जा रहा है।

आम आदमी अपने मोबाइल एप से गाड़ियों की पोजीशन जान सकेगा और नगर निगम को भी यह पता चल जाएगा कि किस घर से कचरा नहीं उठा है। इससे गाड़ियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा और हर गली मोहल्ले से कचरा उठेगा। आयुक्त का कहना है कि 15 जनवरी तक इस नई व्यवस्था को लागू करने की तैयारी है। इससे कचरा वाली गाड़ियों की मनमानी पर पूरी तरह से अंकुश लगा दिया जाएगा।

पटना से विक्रांत की रिपोर्ट…

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