आज पद्म भूषण रामविलास पासवान की पहली बरसी: जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने दी श्रद्धांजलि

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने लोजपा के संस्थापक पद्म भूषण रामविलास पासवान की पहली बरसी पर उन्हें याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वह बिहार के गौरव हैं और सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज रहे हैं। बिहार तथा देशवासी उन्हें सदा धनी व्यक्तित्व राजनेता के रूप में य़ाद रखेंगे।

रामविलास पासवान प्रमुख भारतीय नेताओं में से एक थे। वह बिहार लोजपा के संस्थापक थे। आज उनकी पहली बरसी है। बीते साल ही बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था। राम विलास पासवान का जन्म बिहार के खगड़िया के शहरबन्नी गाँव में एक दलित परिवार में हुआ था। उन्होंने कोसी कॉलेज, पिल्खी और पटना विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और मास्टर ऑफ़ आर्ट्स की डिग्री हासिल की है। उन्होंने 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से शादी की थी। 2014 में उन्होंने खुलासा किया कि उनके 1981 में लोकसभा के नामांकन पत्र को चुनौती दिए जाने के बाद उन्होंने उन्हें तलाक दे दिया था।

सन् 1969 में उनका चयन डीएसपी पद के लिए हुआ लेकिन उन्हें पुलिस सेवा में नहीं जाना था इसलिए डीएसपी जैसे पद को छोड़ कर पासवान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर एमएलए बने। सन् 1970 में पासवान एसएसपी के संयुक्त सचिव बनाए गए। पांच साल बाद इंदिरा गांधी की इमरजेंसी का विरोध करने पर उन्हें जेल जाना पड़ा और 1977 में जेल से रिहा हुए। इसके बाद उन्हें 1985 में लोकदल का महासचिव बनाया गया। इसके बाद पासवान ने 1987 में जनता दल का महासचिव पद संभाला। वहीं 2002 में जब गुजरात दंगा हुआ तब उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। 2004 में पासवान को केंद्र में रसायन एवं उर्वरक मंत्री बनाया गया और उन्होंने फिर एक बार इस्पात मंत्रालय का भी प्रभार संभाला। लेकीन डायरेक्ट फॉरेन इंवेस्टमेंट के मसले को लेकर उन्होंने यूपीए 2012 में छोड़ दिया।

देश में मोदी सरकार आने के बाद उनकी लोजपा ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और एक साथ लोकसभा का चुनाव लड़ा। इसमें बीजेपी को बड़ी जीत मिली और लोजपा को इससे 6 सीट मिली। इसके साथ ही रामविलास पासवान नौंवी बार चुनाव जीत गए। बिहार की राजनीति में उनका योदगान हमेशा अहम रहा है। दलित पिछड़ों के लिए भी उन्होंने हमेशा आवाज उठाई और उनके प्रिय नेता बने।

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