NewsPRLive-विदेशी मेहमानों ने अमावां किला का किया दीदार।

Patna Desk

 

नालंदा जिला के अस्थावां प्रखंड स्थित लाल किला के नाम से प्रसिद्ध अमावां इस्टेट का किला कभी चमन था लेकिन आज पहरेदार बनकर रह गया है। कलाकृतियों से ओतप्रोत इस किला मे 52 कोठरी 53 द्वार व सात आंगन है।इस्टेट में महामारी से बचाव करने की पुख्ता व्यवस्था थी. करीब एक सौ बर्ष पहले बना भवन की कलाकृति आज भी लोगों को मन मोह लेती है। किला कि नक्कासी देख लोग भाव-बिभोर हो जाते हैं। अंग्रेजी हुकूमत के समय जब क्षेत्र में शिक्षा व स्वास्थ्य का काफी अभाव था इलाज के लिए अस्पताल नही था। उस जमाने में स्वास्थ्य के लिए लाभ के लिए आमावां आयुर्वेदिक अस्पताल आते थे।

रख-रखाव के अभाव में काँलेज व अस्पताल सबकुछ ध्वस्त हो चूका है। सरकार द्वारा इस किला को राष्ट्रीय धरोहर के रूप मे बिकसित किया जाय तो प्रतिमाह हजारों रूपये राजस्व कि प्राप्ती होगी तथा क्षेत्रिय लोगों को नियमित रोजगार भी मिलेगा। अमावां किला में आये 60 बिभिन्न देशों से आये विदेशी मेहमानों को राजा साहव के पौत्र, प्रपौत्र व पौत्रबधू ने फूलों की माला व गमछा देकर सम्मानित किया। प्रपौत्र हर्षेन्द्र ने कहा कि इंगलैड में हमारी बहन की बहुत बड़ी कंपनी है।

अधिकांश विदेशी मेहमान हमारी बहन की कंपनी के साथ जूड़े हुए हैं।विदेशी मेहमान बनारस घूमने आये थे और वहां से गया गये। हमारे आग्रह पर सभी गया से अमावां आये हैं। अधिकांश विदेशी मेहमान हिन्दू धर्म को अपना लिया है। नालंदा के अमावां राज की धरती पर आये विदेशी मेहमानों ने भगवान श्री कृष्ण के महारास में भोलेनाथ की एक दिन वो भोले भंडारी बन के ब्रज कि नारी गोकूल में आ गये गीतों पर जमकर झूमें। पहले विदेशी मेहमानों ने फूलों की होली खेली। उसके बाद एक दूसरे को गुलाल लगाकर अभिवादन किया। इस दौरान लोग भक्ति रस में डूवे गये.राजा हरिहर नारायण प्रसाद सिंह के पौत्र हर्षेन्द्र कुमार व पत्नी रीता शाही ने कहा कि इंगलैड के गद्दी पर जब किंग एडवर्ड बैठे थे. उस समय अमावां राज की सलतनत देखने आये थे।

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