देवघर AIIMS मामला , नेताओं के हम बड़े तो हम बड़े के चक्कर में जनता हमेशा पिसती है

Patna Desk

NEWSPR/DESK : राजनीति भी अजब चीज है जिस जनता की भलाई करने को लेकर राजनेता राजनीति करते हैं, उसे भी अपने राजनीतिक मतलब के लिए दाव पर लगाने से नहीं चुकते. भले ही इन राजनेताओं के निजी मतलब के लिए करोड़ों लोगों के सपने क्यों न टूट जाएँ, मगर इनकी राजनीति चलती रहनी चाहिए. ‘विकास’ एक ऐसा नाम है जो राजनेताओं को अपनी राजनीति चमकाने का शानदार हथियार बन गया है. लेकिन ताज्जुब तब होता है जब इस ‘विकास’ को भी राजनीति की तराजू पर तौलने से हमारे राजनेता बाज नहीं आते. ताजा वाकया देवघर में एम्स के ओपीडी से जुड़ा है l
संथाल परगना को विकास और आधारभूत संरचना से जोड़ने के लिए काफी सोच-विचारकर वर्ष 2013 में देवघर में एम्स बनाने का निर्णय लिया गया. लगभग दो वर्ष का समय जमीन की खोज में बीत गया. जमीन मिली और वर्ष 2016 से एम्स के निर्माण का काम शुरू हुआ. निर्माण कार्य अभी भी जारी है. इस बीच एम्स परिसर से बाहर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिले इसको लेकर ओपीडी शुरू किया गया. पिछले दो वर्षों से यह ओपीडी चल रहा है. कोरोना को देखते हुए यह तय हुआ कि देवघर एम्स परिसर में ही ओपीडी को शुरू किया जाये. इसको लेकर पिछले वर्ष से काम में तेजी लायी गयी. अब ओपीडी बनकर तैयार है |

इसका उद्घाटन शनिवार (26 जून) को होना था लेकिन अचानक इसके उद्घाटन को रोक दिया गया. रोकने की वजह है भाजपा और झामुमो के बीच श्रेय लेने की होड़. उद्घाटन कार्यक्रम में स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे को नहीं बुलाया गया था. सांसद महोदय को यह नागवार गुजरा और उन्होंने कार्यक्रम को ही स्थगित करवा दिया.

चल रही है राजनीति
इस मामले पर जो राजनीति चल रही है और जिस तरह से नेताओं का निम्न स्तर का बयान आ रहा है. उसे देखकर तो यही लगता है कि नेताओं को शिलापट्ट पर अपना नाम ज्यादा प्यारा है भले ही जनता को कितना ही नुकसान हो जाए. एम्स का निर्माण केंद्र सरकार के पैसे से हो रहा है. एम्स को संथाल परगना ले जाने का मकसद यह था कि झारखंड, बिहार और बंगाल के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके. स्वास्थ्य सुविधा मिलने से पहले ही यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर फिलहाल ग्रहण लग गया.

गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का यह कहना है कि उनके प्रयास से देवघर में एम्स आया है. वहीँ पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के विधायक पुत्र इरफ़ान अंसारी का कहना है कि एम्स को लाने का श्रेय उनके पिता को जाता है. इतना ही नहीं इरफ़ान अंसारी ने यहां तक बयान दे दिया कि निशिकांत दुबे को उद्घाटन समारोह में घुसने नहीं देंगे

नियमतः देखा जाये तो किसी भी योजना के उद्घाटन और शिलान्यास समारोह में स्थानीय सांसद और विधायक को बुलाया जाता है.जिला प्रशासन के द्वारा सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से अतिथियों को आमंत्रित किया जाता है. उद्घाटन वर्चुअल होना था. लेकिन स्थानीय सांसद का नाम भी कार्यक्रम में नहीं दिया गया जैसा आरोप सांसद निशिकांत दुबे लगा रहे हैं. नियमतः यह भी गलत है. नाराज सांसद ने उद्घाटन कार्यक्रम को ही स्थगित करवा दिया.
अब यह लड़ाई भाजपा और झामुमो की हो गयी है.

दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. सोशल मीडिया पर दोनों तरफ से जंग जारी है. झामुमो जहां इस मामले पर आदिवासी मुख्यमंत्री का अपमान करार दे रहा है. वहीं भाजपा यह कह रही है कि झारखंड में हेमंत सरकार में आपातकाल की स्थिति है. दोनों दलों की लड़ाई के बीच जनता पिस रही है. संथालपरगना जैसे पिछड़े इलाके में स्वास्थ्य सुविधा का घोर अभाव है. इस बात को दोनों ही दलों ने दरकिनार कर दिया. अब भाजपा और झामुमो की आपसी लड़ाई का खामियाजा जनता भुगत रही है.

 

रिपोर्ट : वैभव

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