NEWSPR डेस्क। बिहार की राजधानी पटना से सटे सोनपुर में हर साल लगने वाला विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला एक बार फिर अपनी रौनक बिखेरने के लिए तैयार है। इस बार 17 साल बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेले का उद्धाटन करेंगे। मेला समिति अध्यक्ष सह मंडलीय आयुक्त पूनम तथा मेला समिति के सचिव सह डीएम राजेश मीणा ने मेले की तैयारी जोरों पर होने की बात कही है। नीतीश कुमार 6 नवंबर को मेले का उद्घाटन करेंगे। वहीं आठ को कार्तिक पूर्णिमा का स्नान होगा।
मेले को लेकर प्रशासनिक तैयारी पूरी की जा रही है। मेले के चारों तरफ बैरिकेडिंग और सुरक्षा को लेकर सभी इंतजाम पूरा किया जा रहा है। डीएम की तरफ से गठित करीब एक दर्जन समितियों के पदाधिकारी भी मेले को लेकर तैयारी में जुटे हैं। कोरोना काल में दो साल तक मेला नहीं लगा।अब, जब कोरोना का प्रभाव पूरी तरह समाप्ति की कगार पर है, तो मेला समिति ने मेला लगाने का फैसला लिया है। ऐसे में इस वर्ष मेले में ज्यादा लोगों के पहुंचने की संभावना है।
जानकारी के मुताबिक इस बार विदेशी पर्यटकों के लिए पर्यटन विकास निगम की ओर से बनाया जाने वाला स्विस कॉटेज आकर्षण का केंद्र बनेगा। पर्यटक इसकी ऑनलाइन भी बुकिंग कर सकते हैं। स्विस कॉटेज में रुकने के लिए 6 हजार रुपये के साथ जीएसटी का भुगतान करना होगा। 13 नवंबर से 19 नवंबर तक कॉटेज में ठहरने के लिए 4 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पर्यटक को देना होगा। हालांकि, समय के मुताबिक रेट कम होगा और 20 से 26 नवंबर तक मात्र 15 सौ रुपये और जीएसटी का भुगतान करना होगा।
सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में लगता हैं यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किमी तथा वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से 3 किलोमीटर दूर सोनपुर में गंडक के तट पर लगने वाले इस मेले ने देश में पशु मेलों को एक अलग पहचान दी है। बाकी मेलों के उलट यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है।
एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। अब भी ये एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। सोनपुर पशु मेला में आज भी नौटंकी और नाच देखने के लिए भीड़ उमड़ती है। एक जमाने में ये मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य (340 -298 ईसा पूर्व), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी। वर्ष 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था। एक दौर में सोनपुर मेले में नौटंकी की मल्लिका गुलाब बाई का जलवा होता था।