NMCH में टीबी की दवा उपलब्ध नहीं, एक ही परिवार के दो बच्चों की हो चुकी है मौत, तीसरी भी बीमार

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। टीबी की बीमारी 15- 20 साल पहले लाइलाज और गंभीर बीमारी थी लेकिन आज इस बीमारी का इलाज है। वहीं बिहार सरकार ने मुहिम चला कर 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य भी रखा है। पटना के अम्बेडकर कॉलोनी, संदलपुर में रहने वाली एक दलित गरीब महिला के दो बच्चों की मौत टीबी से हो चुकी है। तीसरी बच्ची जिसकी उम्र 11 साल है वो भी गंभीर रूप बीमार है।

आम आदमी पार्टी बिहार के प्रदेश प्रवक्ता बबलू प्रकाश ने बताया कि पटना के अम्बेडकर कॉलोनी, संदलपुर में रहने वाली एक दलित गरीब महिला के दो बच्चों की मौत टीबी से हो चुकी है। तीसरी बच्ची जिसकी उम्र 11 साल है वो भी गंभीर रूप बीमार है। बीमार लड़की की इलाज NMCH के टीबी अस्पताल में चल रहा है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि टीबी अस्पताल के पास दबा नही है। लड़की की माँ बहुत गरीब है। उसके पास दवा खरीदने के लिए पैसा नहीं है।

बबलू ने कहा कि बिहार का स्वास्थ्य विभाग, टीबी उन्मूलन के लिए अभियान चला रहा है। इसके लिए हर साल करोड़ो रुपया खर्च की जा रही है। बिहार के 38 जिलों में टीबी फोरम का गठन किया गया है।आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, के अलावा भागलपुर, गया, दरभंगा व मुजफ्फरपुर मेडिकल कालेज सह अस्पतालों में नोडल एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस टीबी) टीबी सेंटर संचालित है। इसके बाबजूद पटना में टीबी के मरीज के लिए NMCH जैसे बड़े अस्पताल में दवा उपलब्ध है तो ये टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर बड़ा सवाल है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से मांग है कि बच्ची के इलाज व दवा की समुचित व्यवस्था की जाए।

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