बीते दिनों जब हमने आपको नाव पर सवार होकर शादी करने की कहानी सुनाई थी तो आपने सोचा होगा कि आखिर इससे अजीब क्या हो सकता है तो चौँकिये नहीं जब हम आपको यह बताएं कि शादी में मंत्र नहीं बल्कि संविधान पढ़कर दूल्हा और दुल्हन ने साथ जीने मरने की कसम खाई है l
बिहार में एक शादी बेहद चर्चे में है l इस शादी में सनातन परंपरा से अलग एक जोड़े ने विवाह की रस्म अदा की l जिसमें मंत्रोच्चारण के बदले संविधान को साक्षी मानकर दूल्हा-दुल्हन एक दूजे के हुए l पटना से सटे दानापुर के पुनपुन में हुई इस शादी को बौद्ध परंपरा से कराया जा रहा था l दो दिव्यांगों की ये अनोखी शादी लोगों के बीच चर्चे में है. वहीं सोशल मीडिया पर भी इसके फोटो और वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं l
पुनपुन प्रखंड में आयोजित यह शादी केवड़ा पंचायत के मुखिया सतेन्द्र दास के घर में था. जहां उनकी भतीजी कुमकुम कुमारी की शादी की चर्चा पूरे इलाके में है. आम तौर पर हिन्दु जोड़ों की शादी पंडित के द्वारा संपन्न करायी जाती है. लेकिन इस शादी में ऐसा कुछ नहीं हुआ. इस विवाह समारोह में पंडित को शामिल नहीं किया गया था.
विवाह में पंडित के द्वारा कोई रस्म नहीं कराये जा रहे थे. बल्कि फुलवारीशरीफ के विधायक ने संविधान पढ़ाकर ये विवाह संपन्न कराया. संविधान की एक-एक कॉपी दूल्हा और दुल्हन के हाथों में दी गयी. मंत्र जाप के बदले जोड़े के द्वारा संविधान की शपथ दिलाते हुए रस्में पूरी कराईं. इस शादी को विचारधारा के अनुसार ही कराया गया. इस अनोखी शादी के गवाह बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, फुलवारीशरीफ के विधायक गोपाल रविदास के अलावा कई ग्रामीण रहे l
दिव्यांग दूल्हा और दूल्हन ने किसी देवी-देवता या सनातन धर्म की रस्मों से अलग गौतम बुद्ध, बाबा साहेब अंबेडकर और सावित्री बाई फुले के विचारों को प्रेरणाश्रोत मानकर एक दूजे को अपनाया. भारतीय संविधान को साक्षी मानकर बौद्ध परंपरा से इस अनोखी शादी को सम्पन कराया गया l दूल्हा बने पालीगंज के दरियापुर के रहने वाले रामजीवन राम के पुत्र रंजीत कुमार बारात लेकर पुनपुन के धनकी गांव आए थे.