NEWSPR डेस्क। सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 71वीं पुण्यतिथि है। 15 दिसंबर 1950 में सरदार पटेल ने मुंबई में अंतिम सांस ली थी। सरदार पटेल को दुनिया आजाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री के तौर पर जानते हैं। इसके साथ ही सरदार पटेल गृह, सूचना और रियासत विभाग के मंत्री भी बने। सरदार पटेल को ‘लौह पुरुष’ की उपाधि मिली है। लेकिन क्या आपको पता है कि सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बन सकते थें?
क्या आपको इस बात की जानकारी है कि जिस चीन के साथ भारत का रिश्ता पिछले दिनों विवादों में रहा, उसी चीन के षत्रयंत्रो को लेकर 1950 में ही सरदार पटेल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को आगाह किया था? महात्मा गांधी और नेहरू परिवार की संबंधों के बारे में तो कई ऐतिहासिक तथ्यों में जानकारी है, लेकिन वल्लभ भाई पटेल महात्मा गांधी को कितना सम्मान देते थे, ये जानकर सरदार पटेल के लिए सम्मान अधिक बढ़ जाएगा।
सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में 31 अक्टूबर को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी काबलियत और मेहनत के बल पर अपना एक सशक्त मुकाम बनाया था। उनके नाम कई उपलब्धियां हैं, जो एक साधारण किसान परिवार के लड़के को खास बनाती हैं।
जब 1946 में देश आजाद हुआ तो देश में ब्रिटिश सत्ता का अंत हुआ और नई सरकार आने की तैयारी शुरू हो गई। पूरे देश की उम्मीद कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम पर टिक गईं। लोगों को उम्मीद थी कि जो भी कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनेगा, वही भारत का पहला प्रधानमंत्री होगा।
सरदार पटेल की लोकप्रियता का ही कमाल था कि साल 1946 में नेहरू के नाम को किसी भी कांग्रेस कमेटी ने प्रस्तावित नहीं किया। सरदार पटेल का नाम पूर्ण बहुमत से प्रस्तावित किया। सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बनने ही वाले थे, लेकिन उन्होंने महात्मा गांधी की बात का सम्मान किया। महात्मा गांधी को लगा कि कहीं नेहरू कांग्रेस को तोड़ न दें। इसलिए उन्होंने सरदार पटेल से पीछे हटने को कहा और पटेल ने भी बड़ा दिल करते हुए अपना नामांकन वापस ले लिया।
पटेल बने देश के गृह मंत्री, उस समय उन्हें उप प्रधानमंत्री बनाया गया। जब वह गृहमंत्री बने तो उनके सामने पहली चुनौती थी, देसी रियासतों को भारत में मिलाना। कई छोटे बड़े राजा, नवाब को भारत सरकार के अंतर्गत लाना आसान नहीं था। पर सरदार पटेल ने बिना किसी राजा का अंत किए रजवाड़े खत्म कर दिए। पटेल ने 562 छोटी बड़ी रियासतों का भारत संघ में विलय किया।
सरदार पटेल दूरदर्शी थे। इस बात को उन्होंने तब साबित भी कर दिया जब नवंबर 1950 में उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू को खत लिख कर चीन से संभावित खतरे के बारे में चेतावनी दी। भारत के उत्तर में चीन की घुसपैठ का उन्होंने अंदाजा लगा लिया था, लेकिन पंडित नेहरू ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और इसका परिणाम 1962 की चीन की लड़ाई थी।
सरदार पटेल भारत सरकार में एक बड़े पद पर कार्यरत रहे। अपने सशक्त व्यक्तित्व और कार्यशैली के बाद देश के लौह पुरुष बनने वाले सरदार पटेल के पास खुद का मकान तक नहीं था। वह अहमदाबाद में एक किराए के मकान में रहते थे। जब उनका निधन हुआ तो उनके बैंक खाते में मात्र 260 रुपये थे।