नियमों के उलंघन करने वालों की अभिभावक उपायुक्त से करें शिकायत : सचिव राजेश शर्मा

Patna Desk

NEWSPR/PATNA DESK : स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग झारखंड सरकार के सचिव राजेश शर्मा ने कहा है कि झारखंड शिक्षा न्यायधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 पूरी तरह प्रभावी है. जो भी स्कूल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके विरुद्ध अभिभावक जिले के उपायुक्त को शिकायत करें. उपायुक्त अपने जिले के शुल्क निर्धारण कमिटी के अध्यक्ष भी होते हैं. वे कार्रवाई के लिए सक्षम पदाधिकारी हैं. शिक्षा सचिव ने कहा कि वे सभी उपायुक्तों को पत्र लिखकर ऐसे मामलों पर जल्द कार्रवाई का निर्देश देंगे

अभिभावक संघ के अध्यक्ष ने की शिक्षा सचिव से मुलाकात

गुरुवार को झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय की मुलाकात स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग झारखंड सरकार के सचिव राजेश शर्मा से प्रोजेक्ट भवन स्थित उनके कार्यालय कक्ष में हुई. बैठक के बाद उन्होंने मीडिया के लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपलोगों ने अभिभावकों की समस्याओं पर प्रमुखता से जिन बिंदुओं को उठाया. उसी को केंद्र में रखकर आज की बैठक हुई. आगे उन्होंने बताया कि विभागीय सचिव से अभिभावकों कि तकलीफों के बारे में विस्तार से चर्चा हुई. उनके साथ अभिभावक संघ के विभिन्न जिलों से आये हुए जिला अध्यक्ष भी थे. सभी ने अपने अपने जिलो के स्कूलों द्वारा शुल्क बढ़ाये जाने तथा विभिन्न अलग-अलग मदों में लिए जा रहे शुल्क से सचिव को अवगत करवाया. कई स्कूलों ने कोरोना काल में शुल्क मे बेतहाशा वृद्धि कर दी है.

बुधवार को ही अभिभावकों ने रांची उपायुकत छवि रंजन से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया था. अभिभावकों की ओर से उपायुक्त को बताया गया किस प्रकार कुछ निजी स्कूलों ने मनमाने तरीके से शुल्क में वृद्धि कर दी है. अभिभावकों से ट्यूशन फी के अतिरिक्त कई प्रकार की भारी भरकम राशि वसूल की जा रही है. रांची उपायुक्त छवि रंजन ने अभिभावको को आश्वस्त किया कि अगर किसी स्कूल ने नियम विरुद्ध काम किया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

अभिभावकों को मिला सिर्फ आश्वासन, ठोस कार्रवाई का है इंतजार

बता दें कि कोरोना काल मे अभिभावको की आर्थिक स्थिति खराब हुई है. इसे देखते हुए झारखंड सरकार ने सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया था कि स्कूल बंद रहने तक ट्यूशन फी के अतिरिक्त किसी भी प्रकार शुल्क ना ले. जबकि कई स्कूलों ने अभिभावकों से भारी भरकम राशि वसूलने का काम किया. इसके अतिरिक्त स्कूलों ने सरकार के आदेश की अनदेखी करते हुए अपने कर्मचारियों की सैलेरी में कटौती की. स्कूलों के रवैये से त्रस्त राज्यभर के अभिभावकों ने कई बार अधिकारियों के सामने फरियाद लगायी, लेकिन अधिकारियों से अब तक सिर्फ आश्वासन मिला है. किसी भी मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की गई है

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