रेलवे कर्मचारियों के परिवार का जान हथेली पर रखकर जीने को विवश
कटिहार मंडल रेल कटिहार हेडक्वार्टर में अधिकांश रेलवे क्वार्टर जर्जर हो गया है।जर्जर रेलवे क्वाटर में रेल कर्मचारी के परिवार जान हथेली में रखकर रहने को विवश है।अधिकांश क्वार्टर मौत को आमंत्रित कर रहाहै।1974 रेलवे क्वार्टर भवन में डेढ़ सौ रेलवे क्वार्टर को रहने योग्य नहीं करार देते हुए अविलम्ब खाली करने का निर्देश दिया गया है।कटिहार के विभिन्न रेलवे कॉलोनी में 1974 रेलवे क्वार्टर में 7896 रेल कर्मचारी रहते हैं।जिसमें अधिकांश क्वार्टर रहने योग्य नहीं है।इमरजेंसी कौलौनी,ओटीपाड़ा, न्यू कॉलोनी, ड्राइवर टोला,संतोषी कौलौनी, गार्ड पाडा,लेगडा़बगान के रेलवे क्वार्टर में रेल कर्मचारी अपने परिवार के साथ जान जोखिम में रखकर रहने को विवश है।कई परिवार पिछले 15 वर्षों से एक ही क्वार्टर में रह रहे हैं।क्वार्टर का अब तक सही तरीके से जीर्णोद्धार एक बार भी नहीं किया गया है।अधिकांश क्वार्टर का छत तथा छप्पर क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण बरसात के अलावे हर मौसम में छत से पानी कमरे में गिरते रहता है।छत के उपर पोलीथीन लगाकर जीवन गुजर वसर करते है।छत पर लगे पानी टंकी ओवरफ्लो हो जाने से यह पानी कमरे एवं किचन तक प्रवेश कर रहा है।अधिकांश क्वार्टर का दिवार में दरारें आ चुकी है।दीवार का प्लास्टर झाड़ चुका है।संबंधित अधिकारी इसकी सूचना रेल कर्मचारी के द्वारा लिखित तथा मौखिक कई बार दिया गया है। इसके बावजूद भी दुरुस्त नहीं किया जा रहा है।
न्यू कॉलोनी वाटर संख्या 453 के साथ साथ इस कतार के सभी क्वार्टर रहने योग्य नहीं है।इन क्वार्टर में अभी तक बिजली से संचालित मोटर युक्त पानी टंकी नहीं लगाया गया है।इसके बावजूद भी रेल कर्मचारी परिवार सहित रह रहे हैं।453 (बी) क्वार्टर में रमेश कुमार शर्मा अपने परिवार के साथ पिछले 15 वर्षों से रह रहे हैं।रेल कर्मचारी रमेश कुमार शर्मा की पत्नी चरणजीत कौर ने बताया कि 15 वर्षों से क्वार्टर का सही ढंग से एक भी बार रिपेयरिंग नहीं किया गया है। जिसके कारण सभी दीवाल में दरारें आ चुकी है। प्लास्टर टुटकर गिरना शुरू हो गया है।छत का एसबेस्टस भी टूट चुका है।जिसके कारण हर मौसम में छत से पानी टपकते रहता है। क्वार्टर में मोटर टंकी नहीं लगाया गया है।बाथरूम एवं शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं रहने से काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।सप्लाई पानी 24 घंटे में तीन बार आपूर्ति किया जाता है। इसका भी व्यवस्था सही सही नहीं चल रहा है। जिसके कारण निजी चापाकल लगाकर पानी का उपयोग कर रहे हैं।
इमरजेंसी कॉलोनी का सभी भवन सभी रेलवे क्वार्टर काफी जर्जर हो चुका है।बरसों से क्वार्टर का रिपेयरिंग नहीं किया गया है। जिसके कारण इस भवन में रेल कर्मचारी जान जोखिम में रखकर गुजर बसर करने को विवश है। इमरजेंसी कॉलोनी का क्वार्टर संख्या 730 में मो जुमादीन ने बताया कि क्वार्टर का छत काफी क्षतिग्रस्त हो गया है।जिसके कारण छत पर रखे पानी टंकी लिक हो जाने के कारण नियमित रूप से छत का पानी शयनकक्ष से लेकर रसोई घर तक प्रवेश कर रहा है।जिसके कारण रसोई में खाना बनाना दूभर हो रहा है। रसोई घर में रखे सभी सामग्री पानी में भीग जाने से बर्बाद हो रहा है।क्वार्टर का दीवार का प्लास्टर झरणा प्रारंभ हो गया है। शौचालय एवं बाथरूम की स्थिति ठीक नहीं है।कई वर्षों से क्वार्टर में रंग रोगन विभाग के द्वारा नहीं किया गया है।जबकि विभाग के उच्चाधिकारी को इस संदर्भ में कई बार मौखिक एवं लिखित सूचना दिया गया है।इसके बावजूद भी इस दिशा में कारगर कार्रवाई नहीं किया जा रहा है।
कभी भी हो सकता है हादसा
ओटीपाडा़, न्यू कौलौनी, ड्राइवर टोला, संतोष कौलौनी, गार्डपाडा़, लंगड़ा बगान आदि रेलवे कॉलोनी का अधिकांश भवन जर्जर हो गया है।रेलवे क्वार्टर की स्थिति ऐसी हो गई है की रहने लायक नहीं रह गया है।इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में रेल कर्मचारी अपने परिवार के साथ इन क्वार्टर में जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं। संबंधित अधिकारी के द्वारा अगर समय रहते हुए इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया,तो कभी भी बड़ी हादसा हो सकता है।
क्या कहते हैं कार्य निरीक्षक
कार्य निरिक्षक ने कहा कि कटिहार के विभिन्न रेलवे कॉलोनी में रेल प्रशासन के द्वारा रेल कर्मचारियों के रहने के लिए 1974 भवन का निर्माण किया गया है।प्रत्येक भवन में 4 क्वार्टर है।इस प्रकार टोटल 7896 रेलवे कर्मचारी वाटर का उपयोग कर रहे हैं।जिसमें डेढ़ सौ रेलवे क्वार्टर को क्षतिग्रस्त घोषित कर दिया गया है।क्षति ग्रस्त घोषित किए गए रेलवे क्वार्टर में रहने वाले रेल कर्मचारी को अविलंब क्वाटर खाली करने का निर्देश दिया गया है।कई क्वार्टर खाली हो गया है।जिसे तोड़कर नया भवन का निर्माण कार्य का प्रोसेस किया जा रहाहै।