पटना हाईकोर्ट ने शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापन प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की एकल पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।मामले की पृष्ठभूमिवरीय अधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने शिक्षकों को 22 नवंबर, 2024 तक स्थानांतरण और पदस्थापन के लिए विकल्प देने का निर्देश दिया था। सरकार ने यह भी कहा था कि यदि शिक्षक समय सीमा के भीतर विकल्प नहीं देंगे, तो सरकार अपने स्तर पर निर्णय लेगी।अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सरकार द्वारा पुरुष शिक्षकों को दस सबडिवीजन और महिला शिक्षकों को दस पंचायतों का विकल्प देना मनमाना है और यह 2023 के नियमों के विपरीत है। पुराने नियमों के अनुसार शिक्षकों को तीन जिलों का विकल्प दिया जाता था।शिक्षकों की आपत्तियांशिक्षक संगठनों का कहना है कि नई ट्रांसफर नीति और उसकी प्रक्रियाओं में खामियां हैं।
सरकार ने इसे पारदर्शी बनाने का दावा किया, लेकिन शिक्षकों का आरोप है कि प्रक्रिया में भ्रम और अनियमितता है।अगली सुनवाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है। इस बीच, सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह शिक्षकों की चिंताओं और नियमों के अंतर पर अपना पक्ष स्पष्ट करे।सरकार और शिक्षकों के बीच विवादशिक्षकों का कहना है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग की नई प्रक्रिया उनके लिए न्यायसंगत नहीं है। इसके चलते उन्होंने न्यायालय का रुख किया, और कोर्ट ने उनकी दलीलों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है।