पटना हाई कोर्ट ने राज्यभर के मंदिरों के रखरखाव और व्यवस्था को लेकर कई अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस राजीव राय की पीठ ने यह आदेश संतोष कुमार झा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
सुनवाई में धार्मिक न्यास परिषद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गणपति त्रिवेदी ने बताया कि दरभंगा जिले के श्री बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर की देखरेख के लिए बिरौल के अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक न्यास समिति गठित की गई है, जिसे हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया गया है। वहीं, राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने कहा कि 25 जुलाई को जारी कोर्ट के आदेश के आलोक में अनुमंडल पदाधिकारी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुमंडल पदाधिकारी अपने क्षेत्र में वायु और ध्वनि प्रदूषण की जांच करने के अधिकृत अधिकारी हैं। मंदिरों में केवल छोटे स्पीकर का उपयोग हो और उनकी आवाज़ ‘भजन ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000’ के अंतर्गत तय डेसिबल स्तर में हो। कोर्ट ने कहा कि श्रद्धालु मंदिर में मानसिक शांति के लिए आते हैं, न कि शोरगुल का सामना करने के लिए।
सुरक्षा और व्यवस्थापन
- स्थायी दान पेटियां इस प्रकार लगाई जाएं कि श्रद्धालु आसानी से दान डाल सकें, लेकिन कोई उसे निकाल न पाए।
- मंदिर में प्रवेश और निकास के द्वार अलग-अलग हों ताकि भीड़ के समय भगदड़ से बचा जा सके।
- मंदिर की वित्तीय स्थिति अच्छी होने पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया जाए।
- रोजाना साफ-सुथरे डस्टबिन सुरक्षित स्थानों पर रखे जाएं।
- मंदिर के आसपास तंबाकू-मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए कदम उठाए जाएं।
बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर की विशेष व्यवस्था
सरकारी वकील ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित तालाब की सफाई और किनारे पौधारोपण का कार्य बिरौल के अनुमंडल अधिकारी द्वारा किया जा रहा है।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 सितंबर 2025 तय की है।