हीरा-पन्ना इंफ्रा के ‘द क्राउन’ का निबंधन रद्द करेगी रेरा? फ्रॉड केस में बुक, जवाब दो नोटिस भेज मांगा 30 दिनों में स्पष्टीकरण,’द क्राउन’ के फ्लैट की बिक्री और अनुबंध पर रोक

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। रेरा ने इंफ्रा प्रोजेक्ट कंपनी हीरा पन्ना पर तथ्य छुपाने का आरोप लगाते हुए द क्राउन‘ के फ्लैट, अपार्टमेंट की बिक्री और अनुबंध पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। रेरा ने कंपनी को जवाब दो नोटिस भेज कर 30 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही फिलहाल के लिए रेरा ने तत्काल प्रभाव से कंपनी के प्रोजेक्ट में फ्लैट बिक्री-एग्रीमेंट पर रोक लगाई है। जानकारी के मुताबिक दूसरे कंपनी द्वारा अनुबंध होने के बावजूद भी हीरा पन्ना कंपनी ने उसी जमीन पर अपार्टमेंट निर्माण का निबंधन लिया। इतना ही नहीं कंपनी ने जमीन पर फ्लैट देने के नाम पर कई ग्राहकों से करोड़ों रू भी ले लिये। जिसे लेकर रेरा ने कंपनी पर शिकंजा कस लिया है।

रेरा ने 30 दिनों में मांगा जवाब नहीं तो रद्द होगा ‘द क्राउन’ प्रोजेक्ट

बता दें कि कंपनी पर सच्च छुपाकर धोखाधड़ी से सिकंदरपुर मौजा स्थित विवादित भूमि पर बिल्डिंग परियोजना का निबंधन करवाने के मामले ने रेरा ने कार्रवाई की है। जिसके बाद निबंधन आइजी को पत्र लिखकर कहा है कि वे इस परियोजना से जुड़े किसी भी फ्लैट व अपार्टमेंट का निबंधन न करवाने का निर्देश दें। रेरा ने कंपनी के निदेशक शरद केसरी को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न आपकी परियोजना का निबंधन रद्द कर दिया जाए और आर्थिक दंड लगाया जाए? इसको लेकर कंपनी से 30 दिनों में जवाब मांगा गया है। इसके साथ ही कहा है कि यदि इसका जवाब स्पष्ट रूप से न मिला तो 30 दिनों में वह इसका निबंधन रद्द कर देगी। इसके साथ ही रेरा ने सभी निबंधित रियल इस्टेट कंपनियों व बिल्डरों से अपनी परियोजना की तिमाही रिपोर्ट मांगी है। हर तिमाही पूरी होने के 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट अनिवार्य रूप से देने को कहा गया है।

अग्रणी होम्स प्राइवेट लिमिटेड से पहले हो चुका अनुबंध

कहानी ये है कि साल 2013-14 में ही उस जमीन के मालिक ने कंपनी अग्रणी होम्स प्राइवेट लिमिटेड से अनुबंध किया था। अब उस जमीन पर हीरा पन्ना का निबंधन है। इसे लेकर रेरा ने आपत्ती जताई है। रेरा ने तथ्य छिपाने पर कंपनी से जवाब मांगा है। कंपनी के निदेशक निदेशक शरद केसरी को 30 दिनों के भीतर रेरा को जवाब देना है। रेरा ने दो बिंदूओं पर जवाब मांगा है। पहला यह कि क्यों न रेरा की धारा -7 के तहत तुरंत प्रभाव से प्रोजेक्ट के निबंधन को रद्द कर दिया जाए। दूसरा यह कि क्यों न इस आरोप में जुर्माना लगाया जाए? अगर कंपनी तय समय में जवाब दाखिल नहीं करती है तो निबंधन रद्द कर दिया जाएगा। वहीं कंपनी के मुश्किल में आने से खरीदारी में लगे लोगों की समस्याएं बढ़ गई है। जिनके पैसे लगे हैं वह अपने पैसों की चिंता कर रहे। ऐसे में कंपनी द्वारा रेरा को जो जवाब दिया जाएगा वह अहम होगा।

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