बिहार में बेहतर कनेक्टिविटी और आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देने के लिए पटना-पूर्णिया फोर लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण जल्द ही शुरू होने वाला है। इस महत्वाकांक्षी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस परियोजना के तहत छह जिलों के 29 प्रखंडों के 250 से अधिक गांवों की 3381.2 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण पर लगभग 9467 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी गाड़ियांइस एक्सप्रेसवे को आधुनिक तकनीक के साथ विकसित किया जाएगा, जिससे वाहनों की अधिकतम गति 120 किमी प्रति घंटा होगी।
यह 281.95 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे वैशाली जिले के मीरनगर से शुरू होकर समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा और मधेपुरा से गुजरते हुए पूर्णिया के चांद भट्टी तक पहुंचेगा।बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को बड़ी राहत, किसानों को फायदायह एक्सप्रेसवे खासकर दरभंगा, सहरसा, समस्तीपुर और मधेपुरा जैसे बाढ़ प्रभावित जिलों के लिए फायदेमंद साबित होगा। यह मार्ग गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, दुधौली, कोसी और जिरवा जैसी नदियों को पार करेगा, जिन पर पुलों का निर्माण किया जाएगा। इससे बाढ़ के दौरान भी यातायात बाधित नहीं होगा और हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।11 राष्ट्रीय और 10 राज्य राजमार्गों से होगा संपर्कयह एक्सप्रेसवे 11 राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) और 10 राज्य राजमार्गों (SH) से जोड़ा जाएगा, जिससे राज्य में आवागमन और सुगम होगा। इसके अलावा, समस्तीपुर, सहरसा और मधेपुरा को जोड़ने के लिए अलग-अलग संपर्क सड़कों का भी निर्माण किया जाएगा।पटना से पूर्णिया मात्र 3 घंटे मेंवर्तमान में पटना से पूर्णिया की यात्रा में 7 से 8 घंटे लगते हैं, लेकिन एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद यह सफर मात्र 3 घंटे में पूरा हो सकेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि परिवहन लागत भी कम होगी।किसानों को मिलेगा मुआवजा, हरियाली को बढ़ावाइस परियोजना के तहत 250 गांवों के किसानों को मुआवजे के रूप में बड़ी राशि दी जाएगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। इसके अलावा, पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए एक्सप्रेसवे के किनारे पौधारोपण अभियान भी चलाया जाएगा।निर्माण कार्य जल्द होगा शुरू, 2028 तक पूरा होने का लक्ष्यपटना-पूर्णिया फोर लेन एक्सप्रेसवे की परियोजना रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। निर्माण कार्य शुरू होते ही इसे 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना से बिहार में निवेश और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी और राज्य के आर्थिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आएगा।