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तमिलनाडु से जान बचाकर भाग रहे लोग, मजदूरों की जुबानी खौफ की कहानी!

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NEWSPR डेस्क। सीतामढ़ी तमिलनाडू में हिंदी भाषी लोगों का रहना जानलेवा हो गया है! हिंदी भाषी व्यक्ति वहां कब पीट जाएगा और किसकी जान चली जाएगी, यह कहना मुश्किल हो गया है। यह कहना है तमिलनाडु से लौटे लोगों का। जिले के सोनबरसा प्रखंड के भालुआहा के आधा दर्जन लोग तमिलनाडु से भागकर शनिवार को सीतामढ़ी पहुंचे। यहां पर पहुंचे मजदूरों ने जो हकीकत बताई, उससे साफ है कि वहां बिहारी मजदूरों का हाल बेहाल है। तमिलनाडु से लौटे मजदूरों का कहना है कि स्थानीय लोग पूछते हैं कि हिंदी वाले हो… बिहारी हो? अगर गलती से भी ‘हां’ कह दिया तो वे लोग मारने पिटने लगते हैं। वापस जाने के लिए कहते हैं।

तमिलनाडु से आईं प्रमिला देवी की माने तो तमिल लोग वहां से भगा रहे हैं। हिंदी भाषियों से मारपीट की जा रही है। हिंदी भाषियों पर अपने घर जाने का दवाब डाल रहे हैं। प्रमिला देवी ने बताया कि अगर कोई वहां रहने की कोशिश कर रहा है या मुंह लगाता है, तो उसके साथ मारपीट की जाती है। यहां तक कि फरसा और कुल्हाड़ी से प्रहार कर हत्या कर दी जा रही है या जख्मी कर दिया जा रहा है। जैसे-तैसे जान बचाकर पूरे परिवार के साथ वहां से भाग कर यहां पहुंचे हैं। प्रमिला ने बताया कि खुद और तीन बच्चों की जान बचाने के लिए तमिलनाडू से भागना पड़ा है।

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प्रमिला देवी के साथ तमिलनाडु से लौटकर कर आने वालों में सुधीर कुमार, उमेश महतो, शिवशंकर कुमार, समेत अन्य शामिल हैं। इनकी दास्तान सुनकर पत्थर दिल भी सहम जायेगा। सुधीर ने बताया कि वे सभी तमिलनाडु के त्रिपुर जिला के तनिपांडल में सिलाई का काम करते थे। वहां हिंदी भाषियों पर आफत आया हुआ है। करीब 10 वर्षों से तमिलनाडु में रह रहे थे। इन वर्षों में कोई परेशानी नहीं हुई। हाल के 15-20 दिनों के अंदर वहां की फिजा बदल गई है। यह सब कांड वहां का नेता करा रहा है। बताया कि तमिलनाडु के स्थानीय लोग हिंदी भाषी बिहार, यूपी समेत अन्य राज्यों के लोगों को खदेड़ रहे हैं। जिले के बड़ी संख्या में लोग तमिलनाडु में सिलाई समेत अन्य कार्यों में लगे हुए थे, जो स्थानीय लोगों के उपद्रव के चलते भाग रहे हैं।

सिलाई का काम करने वाला उमेश महतो ने बताया कि तमिलनाडु में हिंदी भाषी घर से निकलने में भी डर रहे हैं। वहां के लोग भाषा के बारे में पूछ-पूछ कर हिंदी भाषियों को प्रताड़ित कर रहे हैं और सीधे तौर पर यह जगह छोड़ने की चेतावनी दे रहे हैं। अगर कोई उनसे मूंह लगाता है, तो उसे बुरा अंजाम भुगतना पड़ रहा है। उमेश ने बताया कि बिहार के लोग लगातार भाग कर घर पहुंच रहे हैं। फिलहाल तमिलनाडु में वही लोग हैं, जिनके पास घर आने के किए किराया का पैसा नहीं है।

शिवशंकर कुमार भी तमिलनाडु में सिलाई के काम से परिवार चलाते थे। बताया कि वहां बड़ी संख्या में हिंदी भाषी काम करते हैं। हिंदी भाषियों की मेहनत की कमाई का अच्छा खासा अंश टैक्स के रूप में सरकार के खाता में जाता है। हिंदी भाषी लोग स्थानीय दुकान में सामान की खरीदारी कर उन्हें आमदनी कराते हैं। फिर भी वहां के स्थानीय लोग हिंदी भाषियों पर टूट पड़े हैं। तमिलों का कहना है कि यहां के फैक्ट्री और कारखानों में स्थानीय लोग ही काम करेंगे।

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