मोक्षभूमि गया में पितृपक्ष मेला: आस्था और आधुनिकता का संगम

Jyoti Sinha

गया एक बार फिर पितरों की शांति और मोक्ष का गवाह बनने जा रहा है। 6 सितंबर से 21 सितंबर तक चलने वाला पितृपक्ष मेला इस बार और भी भव्य और आधुनिक स्वरूप में आयोजित होगा। मान्यता है कि यहाँ पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है, इसी वजह से हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से गयाजी पहुँचते हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 3 सितंबर को खुद गया जाकर तैयारियों की समीक्षा करेंगे। प्रशासन का दावा है कि इस बार की व्यवस्था पहले से कहीं ज्यादा हाईटेक और सुदृढ़ होगी।

सीता पथ पर लेजर शो आकर्षण का केंद्र
इस बार श्रद्धालुओं के लिए सीता पथ पर प्रतिदिन लेजर लाइट शो आयोजित होगा। इसमें गया का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व तथा पितृपक्ष मेले की महिमा को रोशनी और ध्वनि के माध्यम से दर्शाया जाएगा।

कड़ी सुरक्षा और हाईटेक इंतजाम
मेला क्षेत्र के सभी प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर, बैगेज स्कैनर और चेकिंग मशीनें लगाई गई हैं। पहली बार श्रद्धालुओं की सटीक संख्या दर्ज करने के लिए काउंटर मशीन भी लगाई जाएगी। पिछले साल लगभग 22 लाख श्रद्धालु पहुँचे थे, इस बार के आंकड़े और स्पष्ट होंगे।

आवास और सुविधाएँ

  • मेला क्षेत्र को 55 जोन में विभाजित किया गया है।
  • 64 स्थानों पर 18,000 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है।
  • गांधी मैदान में बनी टेंट सिटी में 2500 श्रद्धालु ठहर सकेंगे।
  • 552 पंडा समाज के घरों को एनओसी, 132 होटल और गेस्ट हाउस भी चिन्हित।

सफाई और पेयजल प्रबंधन
फल्गु नदी की सफाई के लिए पहली बार ट्रैश बोट का उपयोग होगा। पूजा सामग्री से दूषित पानी को शुद्ध करने की विशेष व्यवस्था है।

  • 299 चापाकल दुरुस्त
  • 43 पियाऊ और 620 नल चालू
  • 20 वाटर टैंकर और 4 वॉटर एटीएम उपलब्ध
  • 633 स्थायी शौचालय, 240 अस्थायी शौचालय और 131 स्नान घर तैयार

स्वास्थ्य सुविधाएँ
श्रद्धालुओं के लिए 125 डॉक्टर, 178 पैरामेडिकल स्टाफ और 70 स्वास्थ्य शिविर तैनात रहेंगे। भोजन-पदार्थों की जांच नियमित रूप से होगी। गया के बड़े अस्पतालों में 135 बेड रिजर्व रखे गए हैं।

डिजिटल सुविधा
इस बार ई-पिंडदान ऐप पर भी विशेष जोर है, जिससे तकनीक और आस्था का संगम सहज रूप से हो सके।

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