7 साल में PM मोदी के 7 बड़े फैसले, जिसने बदल दी भारत की तस्वीर

Patna Desk

Patna Desk: मोदी सरकार को आज सात साल पूरे हो गए हैं. इन 7 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे कई फैसले लिए जिसने देश की छवि ही बदलकर रख दी. स्वच्छ भारत से लेकर स्वस्थ भारत तक और कश्मीर क्रांति से लेकर नागरिकता क्रांति तक मोदी सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए. सात साल में ये पहली बार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुश्किल में घिरे दिख रहे हैं. शायद ये भी पहली बार है जब सरकार की ओर से इस मौके पर किसी विशेष आयोजन का ऐलान नहीं किया गया. खैर, कोरोना काल में ये जरुरी भी है लेकिन, पिछले सात सालों में मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले किए हैं जो चर्चा में भी रहे और आलोचना का मुख्य केंन्द्र बिंदु भी रहा.

Indian Prime Minister Narendra Modi at the ASEAN-India Summit - ABC News (Australian Broadcasting Corporation)

तो आईये सरकार के सात साल पूरे होने पर जानते हैं उनके सात फैसलों के बारे में, जिन्होंने न सिर्फ सुर्खियां बटोरी बल्कि हर भारतीय पर असर भी डाला.

 

Minutes prior to demonetisation, RBI had warned PM Modi of no material impact on black money

  • भारत में ऐतिहासिक बदलाव: 8 नवंबर, 2016. समय रात के ठीक आठ बजे. इस तारीख और समय को शायद ही कोई भारतीय भूल सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर कहा कि आज रात से 500 और 1000 रुपए के नोट बेकार हो जाएंगे. इसके बाद जैसे भारत की राजनीति में भूचाल-सा आ गया था. आम आदमी से लेकर बड़े कारोबारी तक हर कोई हैरान था, लेकिन क्या आपको याद है कि पीएम मोदी ने ये ऐतिहासिक ऐलान करते वक्त क्या-क्या कहा था.

नोटबंदी का ऐलान करते वक्त पीएम मोदी के भाषण के कुछ अंश
दिवाली के पावन पर्व की समाप्ति नई आशाएं और नई खुशियों के साथ हुई होंगी. आज आप सभी से कुछ विशेष निवेदन करना चाहता हूं. इस वार्ता में कुछ गंभीर विषय, कुछ महत्वपूर्ण निर्णय आप से साझा करूंगा. आपको ध्यान होगा कि जब आपने 2014 मई में हमें जिम्मेदारी सौंपी थी, तब विश्व की अर्थव्यवस्था में BRICS के सन्दर्भ में यह आम चर्चा थी की BRICS में जो ‘आई’ अक्षर, जो India से जुड़ा हुआ है, लोग कहते थे BRICS में जो ‘आई’ है, वह लुढ़क रहा है. लगातार 2 साल के देशव्यापी अकाल के बावजूद भी, पिछले ढाई वर्षों में सवा सौ करोड़ देशवासियों के सहयोग से आज भारत ने ग्लोबल इकॉनमी में एक ‘ब्राइट स्पॉट” अर्थात चमकता सितारा के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. ऐसा नहीं है कि यह दावा हम कर रहे हैं, बल्कि यह आवाज इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड (IMF) और वर्ल्ड बैंक से गूंज रही है.

दरअसल, सरकार का नोटबंदी के पीछे का मकसद पूरा जोर डिजिटल करेंसी बढ़ाने और डिजिटल इकोनॉमी बनाने पर शिफ्ट हो गया. मिनिमम कैश का कॉन्सेप्ट आ गया. प्रधानमंत्री के फैसले से एक ही झटके में 85% करेंसी कागज में बदल गई. बैंकों में पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट जमा हो सकते थे. सरकार ने 500 और 2000 के नए नोट जारी किए. इसे हासिल करने पूरा देश ही ATM की लाइन में लग गया. नोटबंदी के 21 महीने बाद रिजर्व बैंक की रिपोर्ट आई कि नोटबंदी के दौरान रिजर्व बैंक में 500 और 1000 के जो नोट जमा हुए, उनकी कुल कीमत 15.31 लाख करोड़ रुपए थी. नोटबंदी के वक्त देश में कुल 15.41 लाख करोड़ मूल्य के 500 और हजार के नोट चल रहे थे. यानी, रिजर्व बैंक के पास 99.3% पैसा वापस आ गया.

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प्रधानमंत्री ने इस फैसले पर दलील दी थी
प्रधानमंत्री ने कालाधन, आतंकवाद, जाली नोट के खिलाफ इसे बड़ा हथियार बताया पर काला धन भी सफेद हो गया. स्विस बैंकों में नोटबंदी के बाद भारतीयों का पैसा 50% तक बढ़ गया. आतंकवाद, नक्सलवाद और जाली नोट के खिलाफ भी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली.

Surgical Strike Day: How Indian Army avenged deaths of 19 soldiers in Uri attack - Defence View

  • दुसरा फैसला Surgical Strike (28 Sep 2016) Air Strike (26 Feb 2019)

बदलाव: आजादी के बाद पहली बार भारत ने दुश्मन की सीमा में घुसकर उसे सबक सिखाया. भारत का आतंकवाद से निपटने को लेकर नजरिया बदला. कुछ दिन बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी मोदी सरकार को बहुत फायदा हुआ. मोदी सरकार फिर से सत्ता में लौटी.

भारत द्वारा अच्छी पहल: 1971 के युद्ध के बाद पहली बार भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार की थी. आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा लांघी थी. पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयरस्ट्राइक के वक्त पहली बार ऐसा हुआ जब युद्ध की स्थिति नहीं होते हुए भी आतंकी घटनाओं का जवाब देने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार जाकर आतंकियों को सबक सिखाया. भारत की आंतकवाद के खिलाफ लड़ने को लेकर छवि मजबूत हुई. पूरे देश में महसूस किया गया कि भारत अपने दुश्मनों को कहीं भी जाकर खत्म कर सकता है.

क्या बुरा हुआ: एयर स्ट्राइक के चंद घंटों बाद ही पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट नियंत्रण रेखा को पार करके भारतीय सीमा में घुस आए और बमबारी की. इस दौरान भारत का मिग-21 पाकिस्तानी सीमा में गिर गया और विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया. हालांकि उन्हें दो दिन बाद पाकिस्तान को रिहा करना पड़ा.

Last date for filing GSTR 1 for July 2017 to September 2018 extended till October 31

  • तीसरा फैसला Goods and Services Tax (1 July 2017)

बदलाव: हर राज्य अपने अलग-अलग टैक्स वसूलता था। अब सिर्फ GST वसूला जाता है. आधा टैक्स केंद्र सरकार को जाता है और आधा राज्यों को. वसूली केंद्र सरकार करती है. बाद में राज्यों को पैसा लौटाती है.

Mr Atal Bihari Vajpayee: The Man Behind GST in India | SAG Infotech

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2000 में सबसे पहले पूरे देश में एक टैक्स लागू करने का फैसला किया. विधेयक बनाने के लिए कमेटी भी बनाई। पर राज्यों को डर था कि उन्हें जितना रेवेन्यू मिल रहा है, उतना नहीं मिलेगा. इस वजह से मामला अटका रहा. मार्च 2011 में मनमोहन सिंह की सरकार ने GST लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया, पर राज्यों के विरोध की वजह से वह अटक गया. 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार कई बदलावों के साथ संविधान संशोधन विधेयक लेकर आई. कई स्तरों पर विरोध और बदलावों के बाद अगस्त 2016 में यह विधेयक संसद ने पास किया. 12 अप्रैल 2017 को जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की सहमति मिली. यह 4 कानून हैं- सेंट्रल GST बिल, इंटिग्रेटेड GST बिल, GST (राज्यों को कम्पेंसेशन) बिल और यूनियन टेरेटरी GST बिल. तब जाकर 1 जुलाई 2017 की आधी रात से नई व्यवस्था पूरे देश में लागू हुई.

अच्छी चीजें और बुरी चीजें: टैक्स की विसंगति दूर हुई. अब पूरे देश में हर सामान पर एक-सा टैक्स लगता है. शुरुआत में इंडस्ट्री को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पर धीरे-धीरे स्थिति सुधर रही है. कई बदलावों के बाद अब यह प्रक्रिया स्मूथ हो गई है.

Some Key points of Triple Talaq Bill, 2018 | Law Corner

  • चौथा फैसला Triple Talaq (19 Sep 2018)

बदलाव: केंद्र सरकार ने कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं से तीन बार तलाक कहकर संबंध खत्म करने की प्रथा को गैरकानूनी बनाया. ऐसा करने वालों के लिए तीन साल की सजा तय हुई. मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ते/मुआवजे की व्यवस्था भी की.

What was the Saira Bano case all about? - Quora

मामला: सायरा बानो से रिजवान अहमद ने शादी के 15 साल बाद 2016 में तीन बार तलाक बोलकर संबंध तोड़ दिए. सायरा ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. इस पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक के खिलाफ फैसला सुनाया. सरकार को तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने को भी कहा. मोदी सरकार ने फरवरी 2018 में अध्यादेश जारी किया. यह बिल की शक्ल में संसद में पेश हुआ और तमाम विरोधों के बाद भी दोनों सदनों से दिसंबर 2018 में यह पारित हो गया. सिलेक्ट कमेटी को बिल भेजने की मांग भी ठुकरा दी गई. राष्ट्रपति के साइन होने के बाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक कानून बना और इसे 19 सितंबर 2018 से लागू माना गया.

जो अच्छा हुआ: कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन बार तलाक कहकर संबंध खत्म करता है तो उसे तीन साल तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है. तीन तलाक के केस घटकर 5%-10% रह गए हैं. ये कानून लागू होने से मुस्लिम महिलाओं को काफी सहुलियत हुई.

Jammu and Kashmir Jagrans manifesto was also Article 370 removal issue

  • पांचवा फैसला 370 हटा (5 Aug 2019)

बदलाव: केंद्र सरकार ने प्रशासनिक संकल्प से जम्मू-कश्मीर से संविधान की धारा 370 हटा दी. राज्य को मिले विशेषाधिकार खत्म हो गए. जम्मू-कश्मीर दो केंद्रशासित प्रदेशों में बंट गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख.

कश्मीर से धारा 370 हटाना संवैधानिक तख्तापलट है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे

1948 में जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में विलय से पहले विशेषाधिकार की शर्त रखी थी. जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होने के बाद भी अलग ही रहा. राज्य का अपना अलग संविधान बना. वहां भारत में लागू कुछ ही कानून लागू होते थे. बच्चों को शिक्षा का अधिकार (RTE) तक नहीं मिला था. कश्मीर में सिर्फ कश्मीरी ही जमीन खरीद सकते थे. राज्य सरकार की नौकरियां भी स्थायी नागरिकों को ही मिलती थीं. भाजपा भी लंबे समय से धारा 370 खत्म करने की मांग कर रही थी. कई बार यह मसला अदालतों में भी गया, पर गतिरोध बना रहा. मोदी सरकार के फैसले के बाद बड़ा बदलाव यह हुआ कि अब वहां केंद्र के सभी कानून लागू होते हैं.

अच्छी चीजें: जम्मू-कश्मीर औपचारिक तौर पर भारत का हिस्सा बना. भारत के सभी कानून जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लागू हुए. मनरेगा, शिक्षा के अधिकार को भी लागू किया गया.

Why are they angry? - Cover Story News - Issue Date: Jan 20, 2020

  • छठा फैसला CAA (10 Jan 2020)

बदलाव: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम (हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और इसाई) प्रवासियों को नागरिकता देता है. पहले इन लोगों को भारत की नागरिकता पाने के लिए भारत में 11 साल रहना होता था. नागरिकता संशोधन बिल के बाद ये अवधि 11 साल से घटाकर 6 साल हो गई.

ये बिल जनवरी 2019 में लोकसभा से पारित कर दिया गया. राज्यसभा में पास होने से पहले ही 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया. लोकसभा भंग होने के साथ ही यह बिल भी रद्द हो गया. 17वीं लोकसभा के गठन के बाद मोदी सरकार ने नए सिरे से इस बिल को पेश किया. 10 दिसंबर 2019 को ये बिल लोकसभा और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पास हो गया. राष्ट्रपति से हस्ताक्षर के बाद 10 जनवरी 2020 को इसे लागू कर दिया गया.

FIR against 100 women, 10 arrested from anti-CAA protest site at Ghantaghar in Lucknow | Deccan Herald

अच्छी चीजें और बुरी चीजें: कई सालों से अवैध रूप से भारत में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिकता पाने की राह आसान हुई. हालांकि सरकार नियम बनाने में नाकाम रही है. सांसदों की एक कमेटी को नौ जुलाई 2021 तक इन्हें फाइल करना है. इस बिल का विरोध करने वालों का कहना है कि इसमें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है.

from 1 April 2020 These bank names and rules will changed RBI clarified merger know which bank will merge in Which Bank

  • सातंवा फैसला बैंकों का विलय (Merger of banks 1 April 2020)

बदलाव: बैंकों को बढ़ते NPA से राहत मिलने और उपभोक्ताओं को बेहतर बैंकिंग सुविधाएं मुहैया होने की बात कही गई.

दस सरकारी बैंकों का विलय करके चार बड़े बैंक बनाने का ऐलान हुआ. ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया गया. सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया गया. आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जोड़ने का ऐलान किया गया। इसके साथ IDBI बैंक के प्राइवेटाइजेशन को भी सरकार ने मंजूरी दी.

Important Banking News problem raised for customers after amalgamation of Banks Jagran Special

अच्छी और बुरी चीजें: ग्राहकों को बेहतर सुविधा मिल रही है. बैंकों का खर्च कम हुआ. बैंकों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी. बैंक की आमदनी बढ़ने में मदद मिली. टेक्नोलॉजी में ज्यादा निवेश करने का मौका मिला. इसके साथ ही बेहतर ढंग से प्राइवेट बैंक से मुकाबला करने की कोशिश कर पा रहे हैं. डूबते लोन को काबू करने में भी मदद मिली.

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