NEWSPR डेस्क। प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 91वीं कड़ी में देशभर में लगने वाले मेलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में मेलों का सांस्कृतिक महत्व रहा है। मेले जन और मन दोनों को जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता आशीष बहल का एक पत्र मिला है।
मिंजर मक्के के फूलों को कहते हैं। जब मक्के में मिंजर आते हैं तो मिंजर मेला भी मनाया जाता है। इस मेले में देशभर के पर्यटक दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं। संयोग से मिंजर मेला इस समय चल भी रहा है। आप अगर हिमाचल घूमने गए हुए हैं तो इस मेले को देखने चंबा जा सकते हैं।
वहीं आंध्रप्रदेश की जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा- मारीदम्मा का मेला भी आदिवासी समाज की मान्यताओं से जुड़ा बड़ा मेला है। मारीदम्मा मेला ज्येष्ठ अमावस्या से आषाढ़ अमावस्या तक चलता है। यहां का आदिवासी समाज इसे शक्ति उपासना के साथ जोड़ता है। यहीं, पूर्वी गोदावरी के पेद्धापुरम में मरिदम्मा मंदिर भी है। इसी तरह राजस्थान में गरासिया जनजाति के लोग वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ‘सियावा का मेला’ या ‘मनखां रो मेला’ का आयोजन करते हैं।