NEWSPR/DESK : उत्तर प्रदेश के विधान सभा में भले अभी समय है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार घिरते ही जा रहे हैं। कोरनाकाल में गंगा में बही लाशों का सवाल वहीं खड़ा है। भाजपा के लोग भी प्रश्न उठाने में पीछे नहीं हैं। मई में सीतापुर से भाजपा के विधायक राकेश राठौर ने कहा था, ‘ अब विधायकों की क्या हैसियत रह गई है, अगर हम ज्यादा बोलते हैं तो हम पर देशद्रोह का आरोप लगा दिया जाएगा।’ उन्होंंने यह बात कोविड-19 के प्रबंधन की बदहाली के सवाल पर खुद को असहाय होते हुए कही थी। ऐसी नाराजगी 9 मई को केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बरेली में कोविड-19 से निपटने की व्यवस्था को लेकर दर्ज करायी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारी टेलीफोन नहीं उठाते हैं। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से मरीजों को लौटाया जा रहा। है। गंगवार ने बरेली में खाली ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी किल्लत और चिकित्सा उपकरणों को ऊंचे दामों पर बेचे जाने की शिकायत भी की थी।
हर गांव में हुई कम से कम 10-10 मौत
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने अब बयान दिया है कि हर गांव में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है। कोरोना की पहली लहर से सबक न लेने के कारण दूसरी लहर में इतना जानी नुकसान हुआ है। उन्होंने संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग भी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गुमराह किया है। उन्हें सच्चाई नहीं दिखाई गई।
किसानों की स्थिति को लेकर भी सरकार पर साधा निशाना
राम इकबाल सिंह ने कहा कि किसानों के दर्द सरकार समझना नहीं चाहती है। आज किसान पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। वो अन्नदाता हैं। उनकी परेशानी कौन सुनेगा। कौन हल करेगा। कहीं वो खेती छोड़ने के लिए विवश न हो जाएं। गेहूं खरीद पर एमएसपी (न्यूननतम समर्थन मूल्य ) पिछले वर्ष की खरीद दर से केवल 72 रुपए ही बढ़ाई गई है। जबकि किसानों की लागत दोगुना बढ़ गई है। सरकार को डीजल पर किसानों को सब्सिडी भी देनी चाहिए।