पूरा देश इस वक्त कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है. हालांकि इसका इलाज भी ढूंढ लिया गया है. भारत में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरु हो गई है लेकिन थोड़ी दिक्कत आ रही है. लेकिन हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में तो इन दिनों कोरोना वैक्सीन के लिए हाहाकार मची है. पाकिस्तान वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है. पाकिस्तान में चीनी कंपनी सिनोफार्मा और रूस अपनी वैक्सीन भेज रहा है. इन्हें लगवाने के लिए कराची, लाहौर सहित हर शहर में लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं. आलम ये है कि घंटों लाइन में लगे रहने के बाद भी लोगों को टीका नहीं लग पा रहा. लोग इसके लिए रिश्वत तक देने को तैयार हैं.
मई में 18 हेल्थकेयर वर्कर वैक्सीन के लिए रिश्वत लेने के इल्जाम में सस्पेंड भी किए गए. हालांकि, लोगों का कहना है कि निजी क्लीनिक में अमीरों के लिए वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. सरकार का कहना है कि आपूर्ति कम होने से टीकाकरण की रफ्तार धीमी है.
लोगों को वैक्सीन का इंतजार
वैक्सीन की कमी के बीच पाकिस्तान के मध्यमवर्गीय लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं. वे खर्च करने को तैयार हैं, लेकिन उसके बाद भी उन्हें वैक्सीन का इंतजार है. दैनिक भास्कर में छपी एक खबर के मुताबिक मोहम्मद नासिर चौधरी (35) कहते हैं कि मैं स्पुतनिक के लिए प्राइवेट क्लीनिक को 80 डॉलर (करीब 5,800 रुपए) देने को तैयार हूं. लेकिन उसके बाद भी मेरा नंबर कब आएगा, पता नहीं.
इमरान सरकार के खिलाफ नाराजगी भी
जो लोग पैसे देकर वैक्सीन नहीं लगवा सकते उनमें इमरान सरकार के खिलाफ गुस्सा है. इस्लामाबाद में वकील जुनैद जहांगीर कहते हैं कि मेरे कई अमीर दोस्तों ने प्राइवेट क्लीनिक में वैक्सीन लगवाई है. मैंने भी रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन मैसेज मिला कि टीकाकरण रोक दिया गया है. ऐसे में अगर मैं संक्रमित हो जाता हूं तो कौन जिम्मेदार होगा?
इसी तरह इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में पति और सात साल की बेटी के साथ रहने वाली तहमीना सदफ कहती हैं कि महीने में हमारी कमाई करीब 10 हजार रुपए हैं. घर का किराया और बिजली बिल देने के बाद हमारे पास इतना पैसा नहीं बचता कि वैक्सीन खरीद सकें. हमें तो सरकारी केंद्र में अपने नंबर का इंतजार करना ही पड़ेगा.
मंत्री को जल्द वैक्सीन सप्लाई की उम्मीद
वहीं सूचना मंत्री चौधरी फवाद हुसैन कहते हैं कि स्पुतनिक और सिनोफार्म के अलावा पाकिस्तान को जल्द ही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की 13 लाख डोज मिल जाएंगी. मई अंत तक सिनोवैक वैक्सीन की 35 लाख अतिरिक्त डोज मिल जाएगी.
वैक्सीन की निजी बिक्री के फैसले पर बहस
जानकार निजी बिक्री के सरकारी फैसले को वैक्सीन की कमी के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं. पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के नेता डॉ. मिर्जा अली अजहर कहते हैं, ‘सरकार ने गरीबों के बारे में नहीं सोचा कि वे वैक्सीन कैसे खरीद पाएंगे. इससे गरीब युवाओं में गुस्सा बढ़ेगा.’ वहीं, सरकार की दलील है कि निजी अस्पतालों में गरीबों के लिए वैक्सीन मुफ्त है. लेकिन अमीर खर्च करने में सक्षम हैं. इसलिए उनके लिए अलग इंतजाम किया गया है.
स्पुतनिक की मांग ज्यादा
स्पुतनिक के अलावा इमरान सरकार ने कई और वैक्सीन की बिक्री की अनुमति भी दी है. चीन की कैनसीनो बायोलॉजिक्स की सिंगल डोज वैक्सीन 28 डॉलर यानी करीब 2,000 रुपए में उपलब्ध है. पिछले महीने ही इसे बिक्री की अनुमति मिली है, लेकिन स्पूतनिक पर ज्यादा भरोसा होने के कारण इसकी मांग ज्यादा है.