Patna Desk: भारत में मानसून की शुरुआत 1 जून से हो जाती है. शुरुआती दिनों में लोग इसका खुब आनंद लेते हैं लेकिन जब लगातार बारिश होने लगती है तो लोग इसकी वजह से परेशान भी हो जाते है. वो कहते हैं ना किसी भी चीज का अति सही नहीं होता है.
खैर, ये मॉनसून भी काफी जरुरी होता है हमारे लिए, हमारे किसान भाई के लिए यहां तक कि तपती धरती की प्यास बुझाने के लिए भी. प्री मानसून (एक मार्च से 31 मई) सीजन ही एक तरह से मानसून की जमीन तैयार करता है. बिहार के लिहाज से यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि रोहिणी नक्षत्र के बाद धान की खेती के लिए किसान तैयार हो जाते हैं.
अभी मानसून का केरल तट पर दस्तक देना बाकी है और अगले दो दिनों में इसके तट पर बरसने के आसार हैं. ऐसे में बिहार आने में इसे 13 दिन का समय तय करना है. आंकड़ों के अनुसार बारिश के लिहाज से वर्ष 2020 का प्रीमानसून सीजन बिहार के लिए शानदार रहा था लेकिन वर्ष 2021 में प्री मानसून सीजन ने एक दशक के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. मौसम विभाग की ओर से मिले आंकड़ें इस बात के प्रमाण है.
मौसमविदों का कहना है कि चक्रवात ताउते और फिर यास ने बिहार में बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार कीं. यास ने तो बारिश से सूबे को मालामाल कर दिया. प्री मानसून सीजन में इस बार बारिश से वर्ष 2013 से अबतक चला आ रहा जोरदार बारिश का रिकार्ड टूट गया. केवल मई की बात करें तो इस साल मई में 56.9 मिमी की तुलना में 261 मिमी बारिश हुई जो सामान्य से 369 प्रतिशत ज्यादा है. पिछले साल यह आंकड़ा 81.4 मिमी रहा था जोकि 43 प्रतिशत ज्यादा था.