विश्वविख्यात पितृपक्ष मेला इस समय अपने पूरे भव्य स्वरूप में गया जी में जारी है। इसी क्रम में आज सुबह देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मोक्षभूमि गया पहुंचीं और विष्णुपद मंदिर सहित फल्गु तट पर अक्षयवट के नीचे अपने पितरों के लिए पिंडदान एवं श्राद्ध कर्म संपन्न किया।
राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए गया शहर में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतज़ाम किए गए थे। हर रास्ते और मार्ग पर पुलिस बल की तैनाती की गई, जबकि यातायात व्यवस्था को भी सख्ती से नियंत्रित रखा गया। राष्ट्रपति मुर्मू का पैतृक गांव उड़ीसा के मयूरगंज जिले के ऊपर बेड़ा क्षेत्र में स्थित है। उनके श्राद्धकर्म का संचालन आचार्य राजेश लाल कटारियार के मार्गदर्शन में हुआ।
गौरतलब है कि देश के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दौरान गया में पिंडदान किया है। इस कारण यह आयोजन न सिर्फ़ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी एक नई मिसाल कायम कर गया।
स्थानीय श्रद्धालुओं और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि राष्ट्रपति ने पूर्ण विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार पिंडदान किया। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी और धार्मिक विद्वान भी मौजूद रहे, जिससे मोक्षभूमि गया की गरिमा और अधिक बढ़ गई।
हर साल पितृपक्ष के दौरान लाखों श्रद्धालु गया पहुंचते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। लेकिन इस बार राष्ट्रपति के आगमन ने इस मेले की महत्ता को और भी विशेष बना दिया।
यह आयोजन केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं रहा, बल्कि इससे राष्ट्रपति के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना पूरे देश में गहराई से प्रसारित हुई। निस्संदेह, पितृपक्ष मेला 2025 इतिहास में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पिंडदान के लिए सदा याद किया जाएगा।