DESK :देश के निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य की दृष्टि से तो हालात बदतर एवं चिन्तनीय है ही, लेकिन ये लूटपाट एवं धन उगाने के ऐसे अड्डे बन गये हैं जो अधिक परेशानी का सबब है। हमारे देश में जगह-जगह छोटे शहरों से लेकर प्रान्त की राजधानियों एवं एनसीआर तक में निजी अस्पतालों में मरीजों की लूट-खसोट, इलाज में कोताही और मनमानापन कोई नई बात नहीं है
साल 2010 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट नाम का एक कानून पारित किया था। इस कानून के माध्यम से हर प्राइवेट अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर, नर्सिंग होम्स, क्लीनिक्स की जवाबदेही तय थी। … ऐसा न करने पर अस्पतालों पर जुर्माने का प्रावधान था।
गोपालगंज में निजी अस्पतालों पर क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट का पालन नहीं करने का आरोप लगा है, तपस्या फाउंडेशन के सीएमडी प्रदीप देव ने स्वास्थ्य सचिव, गोपालगंज डीएम और सीएस को पत्र लिख अस्पतालों में जांच करने की मांग की है। फाउंडेशन द्वारा लिखे गए पत्र में निजी अस्पतालों पर कई आरोप लगाए गए हैं जिसके अनुसार निजी अस्पतालों में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट का पालन नहीं हो रहा है,उपचार के नाम पर गरीबों का आर्थिक दोहन करने का आरोप लगा है ,इसके अलावा स्थिति खराब होने पर गोरखपुर या पटना रेफर कर दिया जाता है।
पत्र में जिले के दस अस्पतालों के नाम का जिक्र भी किया गया है ,जिसकी जांच की मांग तपस्या फाउंडेशन ने की है , उनके अनुसार कि नियमों की अनदेखी करके ओपीडी, ओटी, लाइट या जनरेटर, पेयजल, शौचालय और साफ सफाई हो रही है। हालांकि पहले ही जिलाधिकारी ने इसपर टिप्पणी की थी, कहा था कि मानक और नियमों के विरुद्ध जो भी नर्सिंग होम चल रहे हैं उनके संचालकों पर जल्द कार्रवाई होगी|
पटना से रिया सिन्हा की रिपोर्ट