NEWSPR /DESK : रांची उपायुक्त के आदेश से बिफरे निजी स्कूल संचालक! कोर्ट जाने का किया फैसला
रांची के उपायुक्त छवि रंजन ने कुछ दिन पहले एक आदेश जारी किया था। आदेश में निजी विद्यालयों से कहा गया था कि वे ट्यूशन फीस को छोड़कर कोई अन्य फीस ना लें। इस आदेश के खिलाफ निजी स्कूलों ने कोर्ट जाने का फैसला किया है। निजी स्कूलों के संचालक सरकार को इस आदेश के खिलाफ ज्ञापन भी सौंपेंगे। इसमें तकरीबन 40 निजी स्कूल शामिल हैं।
रविवार को सहोदया ग्रुप ने बुलाई थी बैठक
मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को राजधानी रांची के 40 निजी स्कूल संचालकों ने आपात बैठक की थी। बैठक का आयोजन सहोदया ग्रुप ने किया था। बैठक में सभी निजी स्कूल संचालकों ने एक स्वर में कहा कि कोरोना काल शिक्षकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहा है। शिक्षक आधी सैलरी में पूरे दिन काम करते हैं। ऑनलाइन क्लास के अलावा होमवर्क चेक करना और स्टडी मैटेरियल तैयार करना भी शिक्षकों के जिम्मे है। इतनी मेहनत के बाद भी उनको पूरी सैलरी नहीं मिल पाती।
कई शिक्षकों के सामने भूखमरी की हालत
बैठक में जानकारी दी गई कि कई शिक्षकों की असामयिक मौत हो गई। उनका परिवार भूखमरी की कगार पर है। कई अभिभावक फीस नहीं दे रहे इसकी वजह से स्कूलों के पास पैसे नहीं। स्कूलों की आर्थिक स्थिति डंवाडोल हो चुकी है। निजी स्कूल संचालकों ने माना3 कि यदि उपायुक्त के आदेश पर अमल करना पड़ा तो शिक्षण संस्थानों को बंद करने की नौबत आ जायेगी।
नया आदेश उपायुक्त का अधिकार क्षेत्र नहीं है
सभी प्रधानाध्यापकों का मानना है कि बीते 25 जून को उपायुक्त ने जो आदेश जारी किया है वो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है। कोरोना की वजह से जून 2020 में जारी आदेश के मुताबिक मामला फिलहाल विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेस पूरे देश में लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकारी स्तर पर शुल्क के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। बैठक में ये बात भी कही गई है कि केवल ट्यूशन फीस से स्कूल का खर्चा नहीं चल सकता। शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देना होता है। बसों का लोन टैक्स है। बिल्डिंग का मेंटेनेंस खर्च है। बिल्डिंग टैक्स और इलेक्ट्रिक बिल का भी खर्चा इसमें शामिल है।