पटना/नवादा: चुनाव की चहल-पहल शुरु हो गई है, साथ ही तेज हो गई है नेताओं की चहलकदमी । आज आपको रुबरु कराते हैं रजौली विधानसभा क्षेत्र से। झारखंड की सीमा पर स्थित यह विधानसभा बेहद संवेदनशील माना जाता है। यहां पर इस बार भी लड़ाई काफी नजदीकी होने वाला है। यों तो नवादा जिला में राजद का अपना वजूद है और इसके पीछे की वजह है राजबल्लभ यादव का होना।
नवादा के पांच विधानसभा में से एक रजौली विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक प्रकाश वीर हैं जो कि राजद के टिकट पर विधानसभा पहुंच थे। 3 लाख की मतदाताओं वाला यह सीट इस बार फिर चौकाने वाला खबर लेकर आएगा। राजद के अंदरखाने की खबर यह है कि इस बार पार्टी वर्तमान विधायक प्रकाश वीर पर दाव नहीं लगाने जा रही है।
इसकी वजह बताई जा रही है उनका क्षेत्र में सक्रियता का अभाव। दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरह से उन्होंने अपने मतदाताओं और रजौली की जनता से वादा किया था उसका 20 फीसदी भी पूरा नहीं किया। नतीजा यह है कि आज की तारीख में उनके स्वजातीय मतदाता भी उनसे नाराज हैं। वहीं रजौली विधानसभा सीट के इतिहास की बात कर ली जाए तो यहां जीते हुए उम्मीदवार को पार्टियां बदलती रही है।
अब अगर यहां की बुनियादी समस्याओं की बात कर ली जाए तो शिक्षा,स्वास्थ्य,पानी,सड़क,पुल-पुलिया,किसानी जैसी समस्याएं जस की तस बनी हुई है। जहां तक लड़कियों और युवा मतदाताओं का सवाल है तो उच्च शिक्षण संस्थान नहीं होने को लेकर नाराजगी है। वहीं स्थानीय स्तर पर पिछले पांच वर्षों में किसी मुद्दों पर जन आन्दोलन न खड़ा कर पाने से जहां पार्टी का शीर्ष नेतृत्व विधायक प्रकाश वीर से नाराज चल रहा है वहीं स्थानीय जनता पिछली बार प्रकाश वीर को अपना जन-प्रतिनिधि चुनकर अब ठगा सा महसूस कर रही है। इस कोरोना संकट के दौरान उनकी उदासीनता भी अब उन पर भारी पड़ने वाली है। जबकि नवादा के राजनीतिक गलियारों में चर्चा ये भी है कि इस बार राजबल्लभ यादव खेमा भी उनसे नाराज चल रहा है। ऐसे में प्रकाश वीर के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी दावेदारी करना भी मुश्किल हो सकता है। आपको बात दें कि नवादा के कई नेता आजकल राजद दरबार में दस्तक देने लगे हैं।