45 साल से निशुल्क शिक्षा की लौ जला रहे रामेश्वर ठाकुर, शिव मंदिर प्रांगण में चलता है गुरुकुल

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। एक ओर जहां आजकल स्कूलों की फीस बढ़ती जा रही है। सरकारी स्कूल में भी पढ़ाने को लेकर गरीब परिवार को सोचना पड़ रहा है। वहीं बगहा जिला के रामनगर में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग 45 वर्षों से निशुल्क शिक्षा देते आ रहे हैं। आसपास के गरीब लड़के लड़कियां यहां बाल वर्ग से तीसरी कक्षा तक शिक्षा ग्रहण करते हैं। रामनगर के मशहूर शिव मंदिर प्रांगण में राजदरबार के तरफ से यह गुरुकुल संचालित करने के लिए जमीन मुहैया कराई गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गुरुकुल में बच्चों की नींव मजबूत होती है और यहां उनकी तीन पीढियां पढ़ चुकी हैं।

दरअसल, रामनगर के प्रसिद्ध शिव मंदिर प्रांगण में एक ऐसा गुरुकुल संचालित होता है जहां आज पढ़ रहे बच्चों के दादा और पापा समेत तीन पीढियां निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। रामनगर राजदरबार के तरफ से वर्ष  1972 में मंदिर प्रांगण में ही गुरुकुल के लिए एक कमरा दिया गया जहां बाल वर्ग से तीसरी कक्षा तक के बच्चों का निःशुल्क पढ़ाया जाता है।

गुरुकुल में पढ़ाने वाले 70 वर्षीय रामेश्वर ठाकुर का कहना है कि जून 1972 से वह बच्चों को संस्कृत और अंग्रेजी समेत सभी विषयों का ज्ञान देते आ रहे हैं। यहां निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था राजदरबार के तरफ से किया गया है। जिससे देश के कर्णधारों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराई जा सकें और शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ रखते हुए बच्चों के भविष्य को संवारा जा सकें। गुरुकुल के गुरुजी बताते हैं कि बच्चे सेवा शुल्क के रूप में कुछ दें तब भी ठीक और ना दें तब भी वो शिक्षा का अलख आजीवन जगाते रहेंगे।

वहीं आसपास के जो गरीब बच्चे इस गुरुकुल में पढ़ने आते हैं उनके अभिभावकों का कहना है कि मात्र 1 रुपया शुल्क देकर उनलोगों ने भी यहीं से पढ़ना सीखा है और आज महंगाई के दौर में उनके बच्चे भी नाम मात्र के खर्च में बड़े बड़े स्कूलों से बेहतर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि जहां आज के दौर में निजी विद्यालयों में पढ़ाई काफी महंगी है और बच्चों पर बस्ते का बोझ बढ़ता जा रहा है। साथ ही सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में किस कदर गिरावट आई है। वैसे समय में इस गुरुकुल में ना तो बस्ते का बोझ दिखता है और ना ही पढ़ाई पर कोई खर्च है। लिहाजा यहां बच्चों की नींव निशुल्क मजबूत हो रही है और दर्जनों गरीब असहाय बच्चों के पढ़ने का सपना साकार हो रहा है।

रिपोर्ट-नूरलैन अंसारी, बगहा

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