NEWSPR डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को खुदरा महंगाई को काबू में लाने के लिये रेपो रेट को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। इस रेपो रेट के बढ़ने से कई चीजें प्रभावित हो जाएंगी। खास कर मध्यम आय वर्ग श्रेणी में घरों की बिक्री पर कुछ समय के लिए असर पड़ सकता है।
बता दें कि 2022-23 में अब तक कुल मिलाकर रेपो दर में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है। वहीं रियल एस्टेट कंपनियों का मानना है कि रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की और वृद्धि से किफायती और मध्यम आय वर्ग श्रेणी में घरों की बिक्री पर कुछ समय के लिए असर पड़ सकता है। जो कि रियल एस्टेट कंपनियों के लिए किसी झटके से कम नहीं है। यानी कि अब होम लोन लेना महंगा पड़ सकता है।
प्रमुख नीतिगत दर महामारी-पूर्व के स्तर पर पहुंच गई है। अगस्त, 2019 में रेपो दर 5.4 प्रतिशत पर थी। साथ ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी निर्णय किया है। प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत की गयी। लगातार तीसरी बार वृद्धि। मुद्रास्फीति को काबू में लाने के बाद अब तक रेपो दर में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि। जीडीपी वृद्धि दर अनुमान 2022-23 के लिये 7.2 प्रतिशत पर बरकरार है।
आर्थिक वृद्धि दर 2022-23 की पहली तिमाही में 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.0 प्रतिशत पर रहने की संभावना। वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान। वित्त वर्ष 2022-23 के लिये खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 7.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत, चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत और 2023-24 की पहली तिमाही में पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है।