NEWSPR डेस्क। राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार विधान परिषद की 3 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने के साथ ही माले में खलबली मच गई है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के बाद अब वाम दलों से भी राष्ट्रीय जनता दल की दूरी बढ़ने लगी है। भाकपा माले ने राजद के फैसले को असंगत, गंभीर और अन्यायपूर्ण कहा है और कहा कि वादे के मुताबिक विधान परिषद की एक सीट वाम दलों को मिलनी चाहिए।
भाकपा माले ने पत्र लिखकर राष्ट्रीय जनता दल के फैसले का विरोध किया है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को लिखे पत्र में भाकपा माले द्वारा यह कहा गया है कि यह स्वीकार करने लायक फैसला नहीं है। राजद को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। कांग्रेस ने भी संकेत दिया है कि अगर भाकपा माले सहमत हो तो बिहार विधान परिषद और राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम दल एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव महागठबंधन के पांच दल राजद ,कांग्रेस, माकपा और भाकपा तथा माले एक साथ लड़े थे लेकिन तारापुर और कुशेश्वर विधानसभा उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने महागठबंधन से अलग राह पकड़ ली थी।
20 जुलाई को विधान परिषद की 7 सीटें खाली हो रही हैं। अगले महीने इसके लिए चुनाव होना तय किया गया है। 1 सीट जीतने के लिए 31 विधायकों का वोट चाहिए। राजद को 3 सीटों पर जीत के जीत के लिए 93 विधायकों का वोट चाहिए लेकिन उसकी अपने विधायकों की संख्या 76 है। उसे वामदलों के 15 विधायकों का वोट मिलेगा तभी उसकी जीत तय होगी। माले के 12 और भाकपा माकपा के दो-दो विधायक हैं। माले का मानना है कि राजद दो उम्मीदवार खड़ा करे और अपना बचा हुआ 14 वोट माले को दे। विधायक कांग्रेस, राजद और भाकपा को राज्यसभा चुनाव में वोट देते रहे हैं। पहली बार बिहार विधान परिषद चुनाव लड़ने का फैसला किया है और ऐसे में राजद को उन्हें सपोर्ट करना चाहिए। बिहार में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 19 है। कांग्रेस के नेताओं की मानें तो बिहार विधान परिषद चुनाव में पार्टी उम्मीदवार देने की संभावना पर विचार कर रही है।