बिहार के शिक्षा जगत में इन दिनों एक अनोखा “ऑपरेशन क्लीन बुकशेल्फ़” की तैयारी है। इस बार निशाना अपराधियों का नहीं, बल्कि स्कूलों और कॉलेजों की खाली अलमारियों का है। राजभवन सचिवालय ने शिक्षा विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं – राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और संबद्ध महाविद्यालयों में लाइब्रेरियन की तैनाती की जाए।राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोग्थु ने पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य अजय कुमार यादव के आवेदन पर कार्रवाई करने के लिए शिक्षा विभाग को पत्र भेजा है। साथ ही, हाईस्कूलों में भी लगभग 6,500 नए लाइब्रेरियन की भर्ती का रोडमैप तैयार हो चुका है। यह नियुक्ति 14 साल बाद दूसरी बड़ी भर्ती होगी। विद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष नियुक्ति नियमावली बनकर तैयार है और फाइल अब वित्त विभाग के पास है। वित्त और विधि विभाग की मंज़ूरी के बाद इसे राज्य पदवर्ग समिति और फिर मंत्रिमंडल से हरी झंडी मिलेगी।
योजना है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही जिलावार रोस्टर के हिसाब से इन ज्ञान प्रहरी की तैनाती पूरी कर दी जाए। भर्ती का पैटर्न विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली जैसा होगा। 2008 में पहली बार इस पद के लिए नियमावली बनी थी और 2010-11 में 2,100 संविदा लाइब्रेरियन नियुक्त हुए थे। फिलहाल, पूरे राज्य में सिर्फ 1,696 पुस्तकालयाध्यक्ष काम कर रहे हैं।लंबे समय से B.Lib और M.Lib डिग्रीधारक अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग कर रहे थे। अब जाकर सरकार ने उनकी फाइलों की धूल झाड़ दी है और प्रक्रिया तेज़ कर दी है। यह कदम न केवल स्कूलों और कॉलेजों की पुस्तकालय संस्कृति को मजबूत करेगा, बल्कि बेरोजगार युवाओं को भी एक बड़ा अवसर देगा।