बोले बिहार के शिक्षक अभ्यर्थी, हम लोग यह अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे, न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे

Patna Desk

Patna Desk: बिहार राज्य में एक बार फिर से शिक्षक नियोजन प्रक्रिया की शुरुआत हाईकोर्ट से मिली इजाजत के बाद शुरू कर दी गई है. लेकिन स्वतंत्रता सेनानी को मिलने वाले 2% के क्षैतिज आरक्षण को कई जिलों में व्यवहार में नहीं लिए जाने के कारण, इस समूह के अभ्यर्थी अब हाई कोर्ट की तरफ रुख करने की तैयारी में हैं.

sarkari naukri 2021 teacher niyojan bihar latest bihar teacher vacancy news  teacher recruitment in bihar process online know latest updates of bihar  90000 teacher vacancy in bihar news skt | बिहार में

इस समूह के अभ्यर्थी बताते है कि हमलोगों को राज्य सरकार की और से 2015 से 2% क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान है लेकिन इस आरक्षण प्रणाली को शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में कई जिला के शिक्षा पदाधिकारी अपने रोस्टर में व्यवहार के रूप में लेने से अब तक इंकार कर रहे हैं.

Resolve to bring justice to the victims of Rampur Thiraha case

उन्होंने बताया कि राज्य के लगभग सभी जिलों में इस आरक्षण प्रणाली को व्यवहार में लिया गया है लेकिन मधेपुरा, सुपौल और अररिया जिले के शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा इस आरक्षण प्रणाली को अब तक व्यवहार में नहीं लिया गया जोकि बहुत ही निंदनीय और अन्यायपूर्ण है. हम लोग यह अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे.

JEE Main Admit Card 2021: हॉल ट‍िकट डाउनलोड करते वक्‍त याद रखें ये  प्‍वाइंट्स - JEE Main admit card 2021 February session date When where how  to download tedu - AajTak

उन्होंने बताया कि इस आलोक में हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेकर राज्य के लोक शिकायत निवारण केंद्र और प्रारंभिक शिक्षा के सचिव श्रीमान रणजीत सिंह को कई बार आवेदन लिखकर और मिलकर भी दिया, ताकि इस मामले पर संज्ञान लिया जा सके लेकिन अब तक इस मामले में किसी ने संज्ञान नहीं लिया है. यहां तक कि मधेपुरा, अररिया, नवादा और सुपौल के शिक्षक नियोजन रोस्टर में इस आरक्षण प्रणाली को चिन्हित नहीं किया गया जबकि बिहार के अन्य सभी जिला में इस आरक्षण प्रणाली को व्यवहार में लिया गया है.

Lt Grade Exam Solver Gang Doctor Teacher And Engineer Arrested - एलटी ग्रेड  परीक्षा का सॉल्वर गैंग अरेस्ट, जालसाजों में टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर शामिल |  Patrika News

 

अब हम लोगों के पास एक ही रास्ता है वो है माननीय न्यायालय का रास्ता. यदि निश्चित समय तक (9 जून 2021) तक इस आरक्षण प्रणाली को व्यवहार में नहीं लिया गया तो हम लोग भी माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे. उन्होंने बताया कि शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में दिव्यांगों को भी 4% क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान था लेकिन राज्य सरकार के द्वारा इसे व्यवहार में नहीं लिया गया इसलिए नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा और अंत में उसे न्याय मिला. तो हम लोग भी पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि हम लोगों को भी न्याय जरुर मिलेगा.

Share This Article