मस्जिदों में लाउड स्पीकर के इस्तेमाल का मामला पहुंचा साऊदी, कहा- ‘बच्चों की नींद ख़राब हो रही’

Patna Desk

Patna Desk: मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर काफी समय से बहस चली आ रही है. ये बहस अब सऊदी अरब तक भी पहुंच चुकी हैं.

दरअसल, सऊदी अरब प्रशासन ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगाम कसा. विरोध हुआ, तो जवाब दिया कि ये प्रतिबंध लोगों के लिए, लोगों की नींद के लिए ज़रूरी है. सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉक्टर अब्दुल लतीफ़ बिन अब्दुल्ला अज़ीज़ अल-शेख ने कहा है कि ये फैसला कुछ परिवारों को होने वाली परेशानी के बाद लिया गया है.

ख़बरों के मुताबिक़, बीते सप्ताह सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉक्टर अब्दुल लतीफ़ ने इन प्रतिबंधों की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज़ अधिकतम आवाज़ के एक तिहाई से ज़्यादा नहीं होना चाहिए.

बच्चों की नींद खराब होने के चलते लिया फैसला
इस फ़ैसले के आधार पर बात करते हुए डॉक्टर अब्दुल लतीफ़ ने बताया था,

“उन्हें मिलने वाली शिकायतें में कुछ शिकायतें बच्चों से जुड़ी भी हैं. इन शिकायतों में अभिभावकों ने लिखा है कि लाउडस्पीकर की तेज़ आवाज़ से उनके बच्चों की नींद ख़राब होती है.”

प्रशासन ने जो सर्कुलर जारी किया है. उसमें मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर का प्रयोग सिर्फ़ नमाज़ के लिए बुलाने (अज़ान के लिए) और इक़ामत (नमाज़ के लिए लोगों को दूसरी बार पुकारने) के लिए ही किया जा सकता है. जबकि स्पीकर की आवाज़ अधिकतम आवाज़ के एक तिहाई से ज़्यादा नहीं होगी. सऊदी प्रशासन के इस आदेश में साफतौर पर ये कहा गया कि इस आदेश को ना मानने वालों के ख़िलाफ़ प्रशासन की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन ने ये भी पाया था कि नमाज़ पढ़ते समय भी लाउडस्पीकर को पूरी आवाज़ पर रखा जा रहा था. जिसके बाद ये फैसला लिया गया है.

क्या कहता है कानून?

ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 जो पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत आता है की 5वीं धारा लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर मनमाने अंदाज में बजने पर अंकुश लगाता है.

1. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी होगी.

2. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र रात में नहीं बजाए जा सकेंगे. इसे रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बजाने पर रोक है. हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है.

3. नियम की उपधारा (2) के अनुसार, राज्य सरकार इस संबंध में कुछ विशेष परिस्थितियों में रियायतें दे सकती है. वह किसी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर चलने वाले यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक दे सकती है. हालांकि किसी भी परिस्थिति में एक साल में 15 दिन से ज्यादा ऐसी अनुमति नहीं दी जा सकती.

राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह क्षेत्र के हिसाब से किसी को भी औद्योगिक, व्यावसायिक, आवासीय या शांत क्षेत्र घोषित कर सकता है. अस्पताल, शैक्षणिक संगठन और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में ऐसे कार्यक्रम नहीं कराए जा सकते, क्योंकि सरकार इन क्षेत्रों को शांत जोन क्षेत्र घोषित कर सकती है.

सऊदी प्रशासन ने लाउडस्पीकर को लेकर जो आदेश जारी किया है. उसके पीछे पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद का हवाला दिया गया है. मंत्रालय ने इस आदेश के पीछे शरीयत की दलील देते हुए कहा,

“सऊदी प्रशासन का यह आदेश पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद की हिदायतों पर आधारित है.”

सऊदी प्रशासन ने अपने आदेश में ये तर्क भी दिया कि मस्जिद के इमाम नमाज़ शुरू करने वाले हैं, इसका पता मस्जिद में मौजूद लोगों को चलना चाहिए, ना कि पड़ोस के घरों में रहने वाले लोगों को. ये क़ुरान शरीफ़ का अपमान है कि आप उसे लाउडस्पीकर पर चलाएं और कोई उसे सुने ना या सुनना ना चाहे. सऊदी अरब में धर्म के कई बड़े जानकारों ने सरकार के इस आदेश को सही ठहराया है. जबकि अधिकांश जनसंख्या इस फैसले के विरोध में है.

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