NEWSPR डेस्क। हिन्द स्वराज के संस्थापक महान योद्धा शिवाजी महराज की आज जयंति है। जिसे लेकर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारतीय इतिहास के मुगलकाल में मराठाओं ने जो देश के लिए योगदान दिया है उसमें सबसे प्रमुख छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है। देश आज शिवाजी महाराज की 392 जन्मदिवस मना रहा है। शिवाजी महाराज ने मुगलों से लोहा लेकर देश में राष्ट्रवाद की भावना जगाते हुए जनमानस में ऐसा आत्मविश्वास जगाया था जो आज भी लोगों को प्रेरणा और उत्साह से भर देता है। उन्होंने औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष कर अपने मराठा साम्राज्य का स्थापना करते हुए जीवन भर मुगलों की नाक में दम करके रखा था।
शिवाजी भोंसले महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले एक शक्तिशाली और प्रभावी सामंत थे। शिवाजी पर उनकी माता जीजाबाई का बहुत प्रभाव था। उनमें वीरता के संस्कार माता जीजाबाई ने ही भरे थे। संभाजी शिवाजी के बड़े भाई थे।
1657 में शिवाजी की मुगलों से पहली मुठभेड़ हुई जिसमें उनकी जीत हुई। इससे पहले दक्षिण के अभियान में निकला औरंगजेब ज्यादा कुछ कर पाता, शाहजहां की बीमारी की वजह से उसे दिल्ली लौटना पड़ा। मुगलों से कई इलाकों को छीनने के बाद 1659 में आदिल शाह की सेना के साथ प्रतापगढ़ किले पर शिवाजी का युद्ध हुआ जिसमें शिवाजी विजयी हुए। लेकिन औरंगजेब के दिल्ली की गद्दी हासिल करने के बाद उसने शाइस्का खान को डेढ़ लाख सैनिकों के साथ शिवाजी पर हमला करने के लिए भेजा। शाइस्का खान ने पूना और शिवाजी के लाल महल पर कब्जा कर लिया। लेकिन जल्दी ही शिवाजी ने छापामार तकनीक से हमला कर शाइस्का खान को घायल कर उसे भगा दिया। 1666 औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा बुलाया और उन्हें संभाजी को कैद कर लिया। लेकिन शिवाजी अपने पुत्र के साथ वहां से भाग निकले। इसके बाद हुए समझौतों में औरंगजेब ने शिवाजी को राजा का ओहदा दिया। लेकिन 1670 के बाद दक्कन में से औरंगजेब को अपनी ताकतकम करनी पड़ी। इसका फायदा उठा कर शिवाजी ने सूरत पर हमला किया. इसके बाद शिवाजी ने मुगलों को दिए हुए अपने सभी किले वापस हासिल किए और 1674 में छत्रपति बन गए।