NEWSPR डेस्क। झाविमो से जीत कर बाबूलाल मरांडी ने पार्टी का विलय भाजपा में कर लिया था़. वहीं प्रदीप यादव व बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गये थे़. जिसे लेकर स्पीकर ने तीनों विधायकों द्वारा अब तक रखे गये पक्ष और तथ्यों के आधार पर इसे दलबदल का मामला माना है़. विधायकों को 23 नवंबर को दिन के 12 बजे स्पीकर के न्यायाधिकरण में अपना पक्ष रखना होगा़ स्पीकर महतो की ओर से भेजे गये पत्र में कहा गया है कि विधायक स्वयं अथवा अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपना पक्ष रख सकते है़ं.
मामले में बाबूलाल मरांडी ने कहा
झाविमो का भाजपा में विलय पूरी प्रक्रिया के साथ हुई है, दो-तिहाई से ज्यादा कार्यसमिति के सदस्यों की मुहर थी, चुनाव आयोग ने विलय को मान्यता दी है, राज्यसभा चुनाव में भाजपा का ही वोटर माना़
प्रदीप-बंधु ने कहा
दो तिहाई विधायक कांग्रेस में शामिल हुए, संख्या बल के आधार पर 10वीं अनुसूची का मामला नहीं बनेगा, कांग्रेस में विलय विधि-सम्मत हुआ है़.
स्पीकर ने तीनों विधायकों को पहले भेजा था नोटिस
स्पीकर महतो ने इससे पूर्व तीनों विधायकों को नोटिस भेजकर लिखित रूप में पक्ष रखने को कहा था़ भाजपा में शामिल होने वाले मरांडी ने इस बाबत कहा था कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया के तहत झाविमो का विलय भाजपा में किया था़ उनके विलय को चुनाव आयोग ने भी मान्यता दी थी़.
चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्हें भाजपा का वोटर माना था और इस आलोक में वोटर लिस्ट का संशोधन भी हुआ था़ स्पीकर के नोटिस का जवाब देते हुए विधायक प्रदीप यादव व बंधु तिर्की ने दलील थी कि यह मामला 10वीं अनुसूची का नहीं बनता है़ वे दो-तिहाई संख्या बल के आधार पर कांग्रेस में शामिल हुए थे़ दोनों विधायकों का कहना था कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया के तहत कांग्रेस की सदस्यता ली थी़.
बाबूलाल के नेता प्रतिपक्ष बनने का मामला फंसा
बाबूलाल मरांडी का प्रतिपक्ष के नेता बनने का मामला अब फंस गया है़ भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में मरांडी को सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेता का 2 मान्यता दिये जाने का आग्रह भाजपा ने किया था़ अब स्पीकर ने मरांडी के भाजपा जाने को दलबदल का मामला मान लिया है और सुनवाई करने का फैसला किया है, तो ऐसे में यह मामला जल्द सलटता नहीं दिख रहा है़