NEWSPR डेस्क। अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा, इसको लेकर संशय बरकरार है। यह संशय गुरूवार को भी समाप्त हो सकता है और यह भी संभव है कि कानूनी दांव-पेंच में फंसने की वजह से फैसला होने में ज्यादा समय लग जाए।
लेकिन भारत व अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा व भविष्य को लेकर कोई संशय नहीं है। मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप सत्ता में रहें या डेमोक्रेट पार्टी के जो बिडेन राष्ट्रपति का पदभार संभाले, भारत के साथ रिश्तों में और गहराई आना ही है। पिछले महीने दोनों देशों के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता ने एक तरह से अगले कुछ वर्षो की रणनीतिक रिश्तों का एक तरह से एजेंडा बना लिया है।
कूटनीतिक क्षेत्र के जानकारों के साथ ही विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस बात के लिए मुतमइन हैं कि अमेरिकी चुनाव परिणामों से दोनो देशों के रिश्तों की गति व दिशा पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। राष्ट्रपति चुनाव से एक हफ्ते पहले ही दोनो देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में टू प्लस टू वार्ता में रणनीतिक सहयोग के भावी एजेंडे पर चर्चा की गई है जिस पर सत्ता परिवर्तन का कोई असर नहीं होगा। पूर्वी लद्दाख में चीन के ताजे घुसपैठ के बाद हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर भारत का नजरिया पूरी तरह से बदल चुका है।
ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल में हिंद प्रशांत क्षेत्र को अपनी वैश्विक कूटनीति का सबसे बड़ा सक्रिय हिस्सा बनाया है। आगे सत्ता में ट्रंप रहे या बिडेन, इस क्षेत्र में अमेरिकी सक्रियता और बढ़ेगी। टू प्लस टू वार्ता के बाद सूत्रों ने बताया कि भारत व अमेरिका के रणनीतिक संबंध जिन मुद्दों के जरिए आगे बढ़ेंगे उनमें हिंद प्रशांत क्षेत्र सबसे प्रमुख रहेगा।
जापान व आस्ट्रेलिया के साथ मिल कर बनाया गया अमेरिका व भारत का गठबंधन और व्यापक होगा। इसी तरह से इस क्षेत्र में उक्त चार देशों की तरफ से किये जाने वाला मालाबार सैन्य अभ्यास का भी विस्तार अगले 4-5 वर्षो में होगा.
इसी तरह से ट्रंप के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच सैन्य रिश्तों में जो सुधार हुआ है उसकी भी गति निर्बाध तौर पर जारी रहने की संभावना है। टू प्लस टू वार्ता के दौरान दोनो देशों के बीच बेसिक एक्सचेंज एंड कॉओपरेशन फॉर जिओ स्पैटिएल कोओपरेशन (बीका) समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है।
दोनो देशों के बीच होने वाले चार अहम रक्षा समझौते की अंतिम कड़ी है। इन समझौतों के बाद अमेरिका भारत को अपना सबसे करीबी सैन्य साझेदार बना चुका है। ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका से सैन्य साजों समान की खरीद भारत पांच गुणा बढ़ा चुका है। दोनो देशों के बीच युद्धक विमान खरीद से लेकर परमाणु चालित विमान वाहक पोत खरीदने तक की कई समझौतों पर बात चल रही है। इन पर भी सत्ता परिवर्तन का कोई असर नहीं होगा।