NEWSPR डेस्क। देश भर में कोरोना की लहर बेकाबू होती जा रही है। रोजाना अब 2 लाख के करीब कोरोना संक्रमित मरीज मिलने लगे हैं। मौत का आंकड़ा भी चढ़ता जा रहा है। बिहार में भी अब कोरोना मरीजों का ग्राफ 5000 के आंकड़े को छू रहा है। सरकारी आंकड़ों में भी कोरोना पीड़ितों के दम तोड़ने के रिकॉर्ड मिल रहे हैं।
लेकिन स्वास्थ्य महकमा के द्वारा सार्वजनिक किए जा रहे कोरोना मरीजों की मौत के आंकड़ों में अब झोल दिखाई देने लगा है। दरअसल, विद्दुत शवदाह गृह के पास जो आंकड़े दर्ज हो रहे हैं वह चौंकाने वाले हैं। रजिस्टर में दर्ज डिटेल्स तो कुछ और ही बयां कर रहे हैं। शवदाह गृह का रजिस्टर स्वास्थ्य महकमे की पोल खोलता नजर आ रहा है।
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 12-13 अप्रैल को सिर्फ 1-1 व्यक्ति की कोरोना से मौत हुई है लेकिन शवदाह गृह का रजिस्टर कहता है कि इन दो दिनों में कुल 49 लाशें जलाई गईं। यह चौंकाने वाला खेल है।
आप इन आंकड़ों से समझिए स्वास्थ्य विभाग और शवदाह गृह के रिकॉर्ड में कितना अंतर है
विद्युत शवदाह गृह के मुताबिक
12 अप्रैल को कोविड के 24 शव जलाए गए
13 अप्रैल को 25 शव जलाए गए
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार
12 अप्रैल को कोविड से पटना में 1 मौत
13 अप्रैल को भी एक ही मौत
वहीं 15 मार्च से 11 अप्रैल तक पटना नगर निगम में 116 लोगों का आवेदन जमा है जिनकी मृत्यु कोविड से हुई है
लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 15 मार्च से 11 अप्रैल तक पटना में कोविड से 27 लोगों की मौत हुई है
इन सब उलझे हुए रिपोर्ट में कहीं न कहीं बड़ी गड़बड़ियों की आशंका दिख रही है। क्या वाकई स्वास्थ्य विभाग आकंड़ों को छुपा रहा है? क्या बिहार में कोरोना संकट कंट्रोल से बाहर हो चला है? मामला तो जांच का विषय बनता जा रहा है।
विक्रांत की खास रिपोर्ट…