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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान ये नेशनल इमरजेंसी, अदालत मूकदर्शक बनी नहीं रह सकती

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NEWSPR डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोरोना महामारी के प्रबंधन से संबंधित ऑक्सीजन की कमी और अन्य मुद्दों के मामले में सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘जब हमे लगेगा कि लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए हमें हस्तक्षेप करना चाहिए, तब हम ऐसा करेंगे.’ सुनवाई के दौरान जस्टिस एस रवींद्र चंद ने पूछा, ‘संकट से निपटने के लिए आपकी राष्ट्रीय योजना क्या है? क्या इससे निपटने के लिए टीकाकरण मुख्य विकल्प है?’

कोरोना प्रबंधन पर स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राष्ट्रीय संकट के समय यह अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती. हमारा मकसद है कि हम हाईकोर्ट्स की मदद के साथ अपनी भूमिका अदा करें. हाईकोर्ट्स की भी अहम भूमिका है.’ सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- ‘इन सुनवाइयों का उद्देश्य हाईकोर्ट्स का दमन करना या उनके काम में दखलंदाजी करना नहीं है. उनकी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर क्या हो रहा है, वह इस बारे में बेहतर समझ रखते हैं.’

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है. राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय संकट के समय सुप्रीम कोर्ट मूक दर्शक नहीं हो सकता. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि क्षेत्रीय सीमाओं के कारण किसी मुद्दे से निपटने में हाईकोर्ट्स को कोई कठिनाई होती है, तो हम मदद करेंगे.

वहीं केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ऑक्सीजन की कमी और COVID19 महामारी के प्रबंधन पर कहा, ‘हम स्थिति को बहुत सावधानी से संभाल रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि हाईलेवल कमेटी इस पर काम कर रही है और खुद प्रधानमंत्री स्थिति पर निगाह बनाए हुए हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ऑक्सीजन प्रबंधन में केरल या तमिलनाडु जैसे राज्यों से अच्छी रिपोर्ट्स भी हैं. एसजी ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और राष्ट्र एक साथ खड़ा है. यह AAP या वाम पार्टी या किसी अन्य पार्टी का मुद्दा नहीं है.’

विक्रांत की रिपोर्ट…

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