मंत्रीमंडल की रेस से बाहर होने के बाद सुशील मोदी अब नीतीश सरकार के पीछे पड़ गए हैं , कहा सिर्फ नाम का हुआ है पटना मेट्रो का काम

Patna Desk

NEWSPR /DESK : पटना : मोदी कैबिनेट में शामिल होने की रेस से बाहर होने के बाद बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार की सुधि भी लेनी शुरू कर दी है। यही नहीं वे पटना से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं की खुद ही पड़ताल भी करने लगे हैं और इसी बहाने नीतीश सरकार को उनके धीमे कामकाज को लेकर आइना दिखाने में जुट गये हैं। पटना में मेट्रो निर्माण की परियोजना को लेकर सुशील कुमार मोदी की हालिया समीक्षा को इससे सीधे जोड़कर देखा जा सकता है। पटना के स्थानीय संस्करण में तो दैनिक भास्कर ने इस तरह से इस पूरी समीक्षा का छापा है, जैसे सुशील कुमार मोदी अखबार के रिपोर्टर बन गये हों और दिल्ली में अफसरों से मिलने के बाद समीक्षात्मक रिपोर्ट कर रहे हों। जिसमें नकारात्मक चीजों से बचते हुये सरकार के कामकाज की बखिया उधेड़ दी गई है। लब्बोलुआब यह है कि ढाई साल में पटना मेट्रो का काम शुरू ही नहीं हो सका है। यानी, नौ दिन चले अढ़ाई कोस।

 

 

पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने बताया है – नई दिल्ली में पटना मेट्रो रेल का निर्माण करा रहे दिल्ली मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के एमडी मंगू सिंह और डायरेक्टर दलजीत सिंह से हुई मुलाकात में उन्होंने जानकारी दी कि टेंडर हो जाने के बावजूद पटना मेट्रो के डिपो का निर्माण कार्य 20 हेक्टेयर जमीन की अनुपलब्धता के कारण प्रारम्भ नहीं हो पा रहा है। 17 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिलान्यास के उपरांत अभी तक पटना मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की भौतिक प्रगति 1% और वित्तीय उपलब्धि मात्र 3.1% है।

पटना मेट्रो के डिपॉजिट वर्क करा रहे दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों के अनुसार प्रायॉरिटी कॉरिडोर आईएसबीटी से मलाही पकड़ी तक जिसमें 6.60 किमी एलिवेटेड होगा, का काम प्रारम्भ हो गया है। पटना मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के डिपो ( रेल इंजन व कोच के रख-रखाव तथा मरम्मत की जगह) के निर्माण के लिये 20 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, जिसके अधिग्रहण पर राज्य सरकार को करीब 1000 करोड़ रु. का खर्च आएगा। डिपो निर्माण के लिए टेंडर हो चुका है, जमीन उपलब्ध होते ही निर्माण कार्य प्रारंभ हो जायेगा।

13,365.77 करोड़ की लागत वाली 32.4 किमी लंबी पटना मेट्रो परियोजना का निर्माण दो कॉरिडोर में होना है। पहला कॉरिडोर 17.933 और दूसरा 14.554 किमी का क्रमशः दानापुर से मीठापुर और पटना जंक्शन से आईएसबीटी होगा। इसके लिए जापान से 5520.93 करोड़ का ऋण भी लिया जाना है।

 

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