देश की सशक्त महिला राजनेता सुषमा स्वराज की जयंति आज, पार्टी नाम से नहीं काम से होती थी इनकी पहचान

Patna Desk

NEWSPR डेस्क।  भारत की सबसे प्रसिद्ध राजनेताओं में से एक सुषमा स्वराज की आज जयंति है। सुषमा स्वराज भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन लोगों के दिलों में आज भी उनका नाम और उनकी छाप उतनी ही गहरी है, जैसा वह छोड़कर गई थीं। सुषमा स्वराज का जब निधन हुआ तो वह देश की विदेश मंत्री थीं।

चार दशकों के राजनीतिक करियर में कई मुकाम हासिल करनी वाली भाजपा की दिग्गज नेता का 67 साल की उम्र में 6 अगस्त, 2019 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह भाजपा के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक थीं, जिन्होंने पार्टी के विकास में बहुत योगदान दिया और कभी भी चुनौतियों का सामना करने से नहीं कतराई। सुषमा स्वराज वैसे तो मोदी सरकार में मंत्री थीं लेकिन उनकी पहचान पार्टी के नाम से नहीं, बल्कि उनके काम से होती थी। वह एक ऐसी नेता थीं, जो अपनी दरियादिली और सहानुभूति के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने अपने कामों को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखा। सुषमा स्वराज हर महिला के लिए एक प्रेरणा हैं।

14 फरवरी 1952 को जन्मीं सुषमा स्वराज के माता-पिता पाकिस्तान के लाहौर में धर्मपुरा नामक स्थान से थे। लेकिन बंटवारा के बाद वह अपने परिवार के साथ भारत आ गये थे। सुषमा ने वकालत की पढ़ाई की थी। जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट में वकील भी रही। सुषमा स्वराज का विवाह स्वराज कौशल से हुआ था, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक नामित वरिष्ठ अधिवक्ता थे। उन्होंने 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। कौशल 1998 से 2004 तक संसद सदस्य भी रहे। स्वराज को उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

25 साल की उम्र में विधायक 27 में कैबिनेट मंत्री

सुषमा स्वराज ने चुनावी राजनीति में अपनी शुरुआत आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। 1977 में सुषमा 25 साल की उम्र में जनता दल के टिकट पर अंबाला सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी। इसी के बाद वह 1987 में इसी सीट से विधायक चुनी गई। वहीं 1979 में देवीलाल की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सुषमा स्वराज उस समय पहली ऐसी इंसान थी, जिसे 27 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

इसी के साथ वह दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री भी बनी। स्वराज 1996 में 13-दिवसीय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद उन्हें फिर से कैबिनेट विभाग मिला। सुषमा स्वराज सात बार सांसद और तीन बार विधायक रहीं।

2014 में आई मोदी सरकार में सुषमा स्वराज को विदेश मंत्री बनाया गया। वह  इंदिरा गांधी के बाद दूसरी भारतीय महिला थी, जिसने विदेश मंत्रालय का प्रभार संभाला था। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा जनता की विदेश मंत्री बन गईं थी। वह ट्विटर के माध्यम से लोगों की मदद करती। किसी को कोई भी परेशानी होती और वह ट्विटर से सुषमा स्वराज को बताते तो वह तुरंत उसे दूर कर देतीं थी। स्वराज पाकिस्तान में भारत में चिकित्सा उपचार के लिए वीजा प्राप्त करने के इच्छुक लोगों की प्रतिक्रिया के लिए भी लोकप्रिय हो गईं।

अपने विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और चीन-भारत संबंधों सहित कई रणनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों को संभाला। भारतीय और चीनी पक्षों के बीच कांटेदार डोकलाम गतिरोध को सुलझाने में उनकी भूमिका को याद किया जाएगा। भारत के सबसे मददगार, तकनीक-प्रेमी मंत्रियों में से एक होने के लिए प्रसिद्ध, स्वराज ने नौकरशाही में हमारा विश्वास बहाल किया था और दुनिया भर से प्रशंसा प्राप्त की थी।

 

Share This Article