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बच्चे के पेट से निकली मां की हेयर क्लिप, खून की उल्टी होने पर डॉक्टरों ने पकड़ा मामला, 2 घंटे की मशक्कत के बाद निकाला

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NEWSPR डेस्क। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने एक 9 माह के बच्चे के पेट से हेयर क्लिप निकाली है। वह कब और कैसे हेयर क्लिप निगल गया घर वालों को भी नहीं पता चल सका। बुखार के बाद जब खून की उल्टी होने लगी तो जानकारी हुई और फिर डॉक्टरों ने 2 घंटे की मशक्कत के बाद हेयर क्लिप निकालकर बच्चे की जान बचाई। सर्जरी करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि क्लिप पेट में खाने की नली में फंसी थी, इससे संक्रमण का खतरा था जिससे बच्चे की मौत भी हो सकती थी। शुक्रवार को एक और मामला आया जिसमें एक 10 साल के बच्चे के गले से प्लास्टिक का टुकड़ा निकाला गया है। प्लास्टिक के पैकेट वाले नमकीन खाने के बाद उसके गले में प्लास्टिक फंसने की समस्या आई थी।

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि दो बच्चों में गंभीर मामला आया है। दोनों की इंडोस्कोपी की मदद से जान बचाई गई। पहले बच्चे का नाम देव है। घर वाले गंभीर हालत में उसे संस्थान के शिशु रोग विभाग में लाए थे। देव की उम्र 9 वर्ष है, वह बुखार के साथ खून की उल्टी से परेशान था। खांसी, बुखार और पेट से तड़प रहे 9 माह के मासूम की हालत पूरी तरह से खराब थी।

एडमिट करने के बाद भी मासूम को खून की उल्टी हुई। डॉक्टरों ने आनन फानन में इंडोस्कोपी की मदद से पेट में हेयर क्लिप का पता लगाया। इसके बाद डॉ. संजीव झा, डॉ. रविकांत कुमार ने टीम के साथ दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे के पेट से हेयर क्लिप निकाली। वहीं इस मामले में डॉ मनीष मंडल का कहना है कि बच्चे के पेट में म्यूकोसा में नुकीली तार की हेयर क्लिप जाकर फंस गई थी। इसे काफी सावधानी पूर्वक निकाला गया। बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है, अब उसे कोई समस्या नहीं है। डॉक्टरो ने काफी मॉनिरिंग और जांच पड़ताल के बाद बच्चे को अस्पताल से छुट्‌टी दे दी है।

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इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि शुक्रवार को एक 10 साल का बच्चा संस्थान के शिशु रोग विभाग में आया। डॉक्टर का कहना है कि कुरकुरे खाने के बाद उसके गले में प्लास्टिक फंस गई थी। इसके बाद कुछ खाने से लेकर सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। डॉक्टरों ने आनन फानन में बच्चे की इंडोस्कोपी कराई जिसके बाद पता चला कि गले में कोई टुकड़ा फंसा हुआ है।

इंडोस्कोपी में पता चलने के बाद कि बच्चे के खाने की नली के उपरी हिस्से में प्लास्टिक का टुकड़ा फंसा है, डॉक्टरों ने सावधानी से प्लास्टिक का टुकड़ा निकालकर बच्चे की जान बचाई। संस्थान के निदेशक डॉ आशुतोष विश्वास ने लोगों से अपील की है कि बच्चों को लेकर ध्यान रखा जाना चाहिए। बच्चे खाते एवं खेलते समय अपने मुंह में क्या ले रखा है उसपर भी ध्यान देना चाहिए। निदेशक ने गौस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. संजीव झा, डॉ रविकांत, डॉ धीरज सहित पूरी टीम को इन दोनों केस में बच्चों की जान बचाने के लिए बधाई दी है। डॉक्टरों का कहना है कि इंडोस्कोपी द्वारा छोटे बच्चे का दूरबीन द्वारा ऑपरेशन कर ठीक करने में बड़ा प्रयास किया गया है।

पटना से विक्रांत की रिपोर्ट…

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