झारखंड के सरकारी हाइस्कूल के प्रधानाध्यापकों का वेतन होगा कम, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। राज्य के सरकारी हाइस्कूल के प्रधानाध्यापकों का वेतन अब कम हो जायेगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रधानाध्यापकों के वेतन निर्धारण को लेकर नये सिरे से पत्र जारी किया गया है। शिक्षक संघ का कहना है कि नये सिरे से वेतन निर्धारण होने पर प्रधानाध्यापकों को पहले की तुलना में लगभग 20 हजार रुपये कम वेतन मिलेगा। शिक्षा विभाग द्वारा नये सिरे से वेतन निर्धारण के बाद पूर्व में दिये गये अधिक वेतन की वसूली का भी आदेश दिया गया है।

निदेशालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि राज्य के राजकीयकृत हाइस्कूल के शिक्षक एवं प्रधानाध्यापक के छठे केंद्रीय पुनरीक्षित वेतनमान को राज्य में स्वीकृति दी गयी है. राज्य के राजकीयकृत उच्च विद्यालयों में लागू प्रधानाध्यापक, उच्च विद्यालय श्रेणी/वेतनमान का पद केंद्र सरकार में भी नहीं है. वर्तमान में प्रधानाध्यापकों का वेतनमान पे बेंड तीन 15600-39100 प्लस ग्रेड पे 5400 के आधार पर भुगतान किया जा रहा था।

वहीं अब वेतनमान पे बेंड दो 9300-34800 प्लस ग्रेड पे 5400 के आधार पर भुगतान किया जायेगा। वर्ष 2015-16 की नियमावली के बाद नवनियुक्त प्रधानाध्यापकों के निर्गत नियुक्ति पत्र में पे बेंड दो 9300-34800 प्लस ग्रेड पे 5400 का जिक्र होने के बाद महालेखाकार कार्यालय द्वारा इस संबंध में शिक्षा विभाग से पत्राचार किया गया. इसके बाद पूरा मामला संज्ञान में आया. राज्य के हाइस्कूलों में वर्ष 2009 में 175 प्रधानाध्यापक नियुक्त किये गये थे। वेतनमान निर्धारण को लेकर स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा विधि विभाग से भी राय ली गयी थी। इसके अलावा वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई। बिहार व केंद्र सरकार के वेतनमान को भी देखा गया था।

डीइओ को एक माह के अंदर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश : माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा इस संबंध में सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश के आलोक में एक माह के अंदर नये सिरे से वेतन निर्धारण करने को कहा गया है. सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन निर्धारण भी नये सिरे से होगी। कार्यरत/सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक जिनका गलत वेतन निर्धारण/वेतन पुर्जा निर्गत होने के फलस्वरूप अधिक राशि का भुगतान हुआ है, उसकी गणना करने को कहा गया है.

पत्र में कहा गया है कि प्राकृतिक न्याय का अनुपालन करते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी तीन माह में वसूली योग्य राशि वसूली सुनिश्चित करेंगे. इधर झारखंड माध्यमिक शिक्षक संघ ने इसका विरोध किया है।

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