NEWSPR डेस्क। सूबे के सबसे बड़े अस्पताल PMCH का आलम ये है कि डॉक्टर इसे अपने निजी क्लिनिकों में पेशेंट बढ़ाने का अड्डा बना दिए हैं. ये उनके लिए एक तरीके से पेशेंट बढ़ोतरी का केंद्र बन गया है. यहां पोस्टिंग के लिए भी कई पापड़ बेलने पड़ते हैं. अगर आपका संपर्क किसी अच्छे दलाल या किसी बड़े नेता से है, तो ही आप PMCH में बतौर डॉक्टर सेवा दे सकते हैं. क्योंकि यहां काम करने के कई फायदे हैं. एक तो समाज में आपकी इज्जत बढ़ जाएगी. दूसरी कि आप यहां काम करने के साथ राजधानी पटना में अपने निजी क्लिनिक को भी चमका सकते हैं. आप कभी भी यहां आ सकते हैं, और जब मन हुआ अपने निजी क्लिनिक में प्रैक्टिस करने जा सकते हैं.
11 बजे लेट नहीं 12 बजे के बाद भेंट नहीं:-
लगभग PMCH में लगी हुई सभी बायोमैट्रिक मशीनें खराब हैं. मजबूरन डॉक्टरों की उपस्थिति रजिस्टर में ही बनाई जाती है. जैसे हमलोगों की क्लास 1st और 2nd स्टैंडर्ड में बनाई जाती थी. डॉक्टर भी बायोमैट्रिक मशीन को लेकर काफी परेशान रहते थे. अब सब परेशानी दूर हो गई है. जब मन हुआ आए. जब मन हुआ निकल गए. भला किसकी हिम्मत है कि इनलोगों से उलझे, और उलझ कर भी कोई क्या कर सकता है.
हाँ, यहां के कर्मी भी डॉक्टरों के प्रति बहुत ईमानदार हैं. झट से डॉक्टर साहेब के निजी क्लिनिक का पता दे देते हैं. ताकि मरीज वहां पहुंच जाए, और जब कल होकर डॉक्टर साहब PMCH आते हैं तो बता भी देते हैं… सर कल भेजे थे, आपके पास गया था. डॉक्टर साहब खुश हो जाते हैं, और कहते हैं, हाँ गया था. बहुत बढ़िया. कोई जरूरत हो तो बताना.. जी सर… जी सर.. करने का यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है.
ओपीडी और इमरजेंसी के लिए वरदान हैं जूनियर डॉक्टर:-
ओपीडी और इमरजेंसी का हाल ये है कि अगर जूनियर डॉक्टर छुट्टी पर चलें जाएं तो मरीज तड़प-तड़पकर दम तोड़ दे. जिम्मेदारियों के बोझ तले यहाँ के जूनियर डॉक्टर भी दबे हुए हैं. यह भी एक तरीके का शोषण ही है. हालांकि ये लोग PMCH के लिए वरदान हैं.
गौरतलब है कि नई सरकार के गठन के बाद लोगों की उम्मीदें भी बढ़ी है. लोगों को लग रहा है कि ये 2010-15 वाले नीतीश कुमार नहीं, 2005 वाले नीतीश कुमार हैं. अब बिहार में विकास की गंगा फिर से बहेगी, और PMCH का भी कायाकल्प होगा.
पटना से चन्द्रमोहन की स्पेशल रिपोर्ट