NEWSPR डेस्क। आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय पर की गई कार्रवाई ने ये बता दिया की बिहार में ईमानदारी से काम करने वालों की जरूरत नहीं हैं। एक तरफ बिहार एसएससी घोटाले के आरोपी को निलंबन मुक्त कर महत्वपूर्ण पद दिया जाता है और दुसरी तरफ अरविंद पांडेय जैसे ईमानदार अफसर को डीजीपी के रेस से बाहर करने के लिये उनपर कार्रवाई की जाती है अरविंद पांडेय के उपर की गई कार्रवाई पर आरजेडी ने सवाल उठाया है. प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी अरविंद पाण्डेय पर की गई कार्रवाई को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए इसकी तीखी आलोचना की है
DGP के मजबूत दावेदार
राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार की बदत्तर विधि व्यवस्था की सबसे बड़ी वजह पुलिस विभाग में नियुक्ति और पदस्थापन में सरकार द्वारा अपनायी जा रही भेदभाव पूर्ण नीति रहा है. अभी बिहार में पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्ति होने वाली है. पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा कुछ शर्तें लगा दी गई है. उन शर्तों के आधार पर पुलिस महानिदेशक पद के लिए अरविंद पांडेय एक मजबूत दावेदार हैं. लेकिन सामाजिक पृष्ठभूमि और ईमानदार छवि के कारण राज्य सरकार अरविंद पांडेय को पुलिस महानिदेशक नहीं बनाना चाह रही है. इसलिए एक सुनियोजित साजिश के तहत इन्हें रास्ते से हटाने के लिए उस मामले को पुनर्जीवित कर दिया गया है. जिसे 2014 में हीं तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आदेश से बंद कर दिया गया था.
बिहार में सुधार संभव नहीं
गगन ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लिए गए फैसले को पुनर्जीवित कर एक नयी परिपाटी की शुरुआत की जा रही है. सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि मांझी के हटने के बाद नीतीश कुमार सीएम बने थे. यदि जीतन राम मांझी के निर्णय पर पुनर्विचार हीं करना था तो उसी समय करते, लेकिन इतने दिनों के बाद इसे पुनर्जीवित करने का क्या मतलब ? पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर सक्षम और ईमानदार पदाधिकारियों की उपेक्षा होगी और सामाजिक आधार पर पदस्थापन किया जाएगा. बिहार में विधि व्यवस्था में सुधार संभव नहीं है.
2 वेतन वृद्धि पर लगी रोकी
दो दिन पहले बिहार सरकार ने राज्य के सीनियर आईपीएस अफसर के ऊपर कड़ा एक्शन लिया है. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अरविंद पांडेय के ऊपर प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या के मामले में कार्रवाई की गई है. सरकार ने इनकी चार वेतनवृद्धियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है. इसी गंभीर मामले में आईपीएस अरविंद पांडेय के खिलाफ विभागीय कार्रवाही संचालित की गई. बिहार सरकार की ओर से इन्हें जो दंड दिया गया है, उसके मुताबिक अरविंद पांडेय को वर्तमान में मिल रहे वेतन से 2 वेतन वृद्धियां घटा दी जाएंगी और इसके अलावा भविष्य में भी दी जाने वाली दो वेतन वृद्धियां भी नहीं दी जाएंगी. सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक मनातू प्रखंड के बीडीओ भवनाथ झा की हत्या के समय 1988 बैच के आईपीएस अफसर अरविंद पांडेय पलामू जिला के एसपी थे. जब उग्रवादियों ने बीडीओ भवनाथ झा की हत्या की तब इनके ऊपर आरोप लगा कि पुलिस कप्तान रहते अरविंद पांडेय ने जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाया. इनकी कार्यशैली में लापरवाही पाई गई.