NEWSPR डेस्क। पटना राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बिहार विशेष सर्वेक्षण कार्य के लिए संविदा पर नियुक्त तीन कर्मचारियों की सेवा को समाप्त कर FIR दर्ज कराने का आदेश दिया है. नियुक्ति के दौरान उनकी ओर से दिये गये शैक्षणिक दस्तावेज जांच में फर्जी पाये गये हैं.
पटना, खगड़िया और वैशाली निवासी इन कर्मचारियों ने अब तक जो वेतन लिया है, उसकी भी वसूली की जायेगी. संबंधित विश्वविद्यालयों की रिपोर्ट के बाद निदेशक भू- अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने यह कार्रवाई की है.
बिहार विशेष सर्वेक्षण लिपिक के 550 पदों के लिए संविदा पर पिछले साल नियुक्ति हुई थी. इनमें कुल 362 अभ्यर्थियों ने विभाग में योगदान दिया. इन सभी को 20 जिलों में स्थापित 208 शिविरों में नियुक्ति किया गया था. इनमें विकास कुमार सिंह, बबलू चौहान और गोपाल झा भी शामिल थे.
विकास कुमार सिंह मूल रूप से खगड़िया जिले का रहनेवाला है. उसका पदस्थापन पूर्णिया जिले के बनमनखी अंचल की पंचायत सरकार भवन, धरहरा शिविर में किया गया. विकास ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय विवि की स्नातक की डिग्री के आधार पर नौकरी पायी थी.
जांच में यह फर्जी पायी गयी है. पटना जिले के मूल निवासी बबलू चौहान की पोस्टिंग बेगूसराय में है. नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी ने बबलू की पीजी की डिग्री को फर्जी करार दिया है.
गोपाल झा वैशाली जिलेका रहने वाला है. अभी सहरसा में तैनात है. इसका स्नातक का प्रमाणपत्र डायरेक्टेरेट ऑफ डिस्टेंस लर्निंग, राजस्थान ने जारी किया है. विभाग ने इसकी जांच की, तो यह प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया.
निदेशालय ने सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को पत्र लिखकर तीनों कर्मियों का तत्काल वेतन रोकने, उनको पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
निदेशक भू- अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय जय सिंह ने बताया कि जिन तीन कर्मियों के दस्तावेजों को जांच में फर्जी पाया गया है, वे सभी विशेष सर्वेक्षण लिपिक के पद पर काम कर रहे हैं. तीनों 2020 में संविदा पर नियुक्त हुए थे.
उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी लेनेवालों की खैर नहीं है. जांच में जिनका दस्तावेज फर्जी पाया जायेगा, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. वेतन की वसूली के साथ FIR दर्ज की जायेगी.
पटना से विक्रांत की रिपोर्ट…