बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो गया है। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों के लिए विशेष सुरक्षा योजना तैयार करने, अपराधियों पर नज़र रखने और प्रत्येक बूथ पर जरूरी सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्णय मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा और डीजीपी विनय कुमार की संयुक्त अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में लिया गया, जिसमें सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स और कानून-व्यवस्था से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।संवेदनशील बूथों पर सख्त निगरानीमुख्य सचिव ने कहा कि जिन मतदान केंद्रों को संवेदनशील घोषित किया गया है, वहां अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती के साथ-साथ शुद्ध पेयजल, शौचालय, बिजली, रैंप, शेड और स्पष्ट साइनेज जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
डीजीपी विनय कुमार ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि पिछले चुनावों में गड़बड़ी करने वाले अपराधियों की पहचान कर उनकी कड़ी निगरानी की जाए, उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए जाएं और समय पर हाजिरी सुनिश्चित कराई जाए।हथियार लाइसेंस और बालू माफियाओं पर कार्रवाईमुख्य सचिव ने मृत व्यक्तियों के नाम पर जारी हथियार लाइसेंस की तुरंत जांच कराने और उनसे जुड़े कारतूस की आपूर्ति पर रोक लगाने के आदेश दिए। साथ ही, अवैध बालू खनन में शामिल माफियाओं को चुनावी माहौल के लिए खतरा मानते हुए उन पर “मिशन मोड” में कार्रवाई करने और एसडीपीओ स्तर पर विशेष बैठकों के आयोजन का निर्देश दिया गया।
तकनीकी निगरानी और त्वरित कार्रवाई योजना-
चुनाव के दौरान सुरक्षा बढ़ाने के लिए सभी प्रमुख चेकपोस्ट पर वायरलेस सिस्टम, नाइट विजन कैमरे और ANPR (Automatic Number Plate Recognition) तकनीक लगाने को कहा गया है। हर जिले का कंट्रोल रूम त्वरित प्रतिक्रिया योजना (Quick Action Plan) के साथ किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहेगा।समीक्षा बैठक में अनुसूचित जाति और जनजाति से जुड़े मामलों के लिए दो दिवसीय विशेष अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा, सभी थानों को गुंडा रजिस्टर और गैर-जमानती वारंट की नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए गए।