आज का शब्द ज्ञान
कविता संग्रह डेस्क: ‘पटल’ एक ऐसा शब्द है जिसके कई + होते हैं जैसे- 1- छप्पर 2-आवरण, परदा 3-परत, तह 4-पहल, पार्श्व 5-आंख की भीतरी बनावट का परदा 6-पटरा, तख्ता 7- परिच्छेद, अध्याय 8- समूह, झुण्ड. न्यूज पीआर ‘आवाज़ जनता की’ शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- पटल. तो इस मौके पर आज हम प्रस्तुत करते हैं हरिवंशराय बच्चन की कविता: देखो, टूट रहा है तारा….
देखो, टूट रहा है तारा!
नभ के सीमाहीन पटल पर
एक चमकती रेखा चलकर
लुप्त शून्य में होती-बुझता एक निशा का दीप दुलारा!
देखो, टूट रहा है तारा !
हुआ न उडुगन में क्रंदन भी,
गिरे न आँसू के दो कण भी
किसके उर में आह उठेगी होगा जब लघु अंत हमारा!
देखो, टूट रहा है तारा !
यह परवशता या निर्ममता
निर्बलता या बल की क्षमता
मिटता एक, देखता रहता दूर खड़ा तारक-दल सारा!
देखो, टूट रहा है तारा !