बिहार शिक्षा परियोजना परिषद एवं एनसीईआरटी द्वारा सामाजिक अंकेक्षण हेतु मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण शुरू

Jyoti Sinha

पटना, 09 सितंबर-

बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत हुई है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपीसी) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक संयुक्त पहल के तहत, राज्य के विद्यालयों के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) के लिए मंगलवार से पटना के एक होटल में मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम का मंगलवार को शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोशल ऑडिट सोसाइटी के डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन, निदेशक एसएएस, एसआरपी एसएएस, बीईपीसी के वीएसएस एवं मीडिया के जिला प्रभारी, प्रशासनिक अधिकारी, राज्य कार्यक्रम ऑफिसर समेत कुल 80 प्रतिभागी सोशल ऑडिट मास्टर ट्रेनर के रूप में भाग ले रहे हैं। यह प्रशिक्षण बुधवार तक आयोजित किया जाएगा।
बीईपीसी के राज्य परियोजना निदेशक मयंक वरवड़े, एनसीईआरटी की डीटीई विभाग की प्रमुख प्रो. शरद सिन्हा और राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी और समग्र शिक्षा सोशल ऑडिट के नोडल अधिकारी डॉ. उदय कुमार उज्ज्वल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।


एसपीडी ने कहा कि इसके निष्कर्ष के आधार पर गुणवत्ता सुधार के लिए रणनीति बनेगी। वहीं प्रो. सिन्हा ने कहा कि ऑडिट के लिए टूल दिया जाएगा।


पहले दिन तीन मॉड्यूल पर प्रशिक्षण दिया गया। जिसकी शुरुआत समग्र शिक्षा, क्या, क्यों और कैसे मॉड्यूल से डीटीई विभाग के सहायक प्रो. जितेन्द्र के पाटिदार ने की। इसके बाद एनसीईआरटी के ही अधिकारियों ने अन्य दो मॉड्यूल सामाजिक अंकेक्षण: क्या, क्यों और कैसे, सामाजिक अंकेक्षण डेटा संग्रहण उपकरण और रिपोर्टिंग से परिचित करवाया। मौके पर प्रो. विजयन के, सोशल ऑडिट सोसाइटी के निदेशक विनय ओहदार, एसआरपी डॉ. ददन राम मौजूद रहे।


इस कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य प्रत्येक वर्ष राज्य के कुल विद्यालयों में से 20% का सामाजिक अंकेक्षण करना है। इस रणनीति के माध्यम से अगले 5 वर्षों में बिहार के शत-प्रतिशत विद्यालयों का ऑडिट पूरा कर लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अंकेक्षण की इस व्यापक प्रक्रिया के लिए ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत सोशल ऑडिट सोसायटी से भी सहयोग प्राप्त किया जा रहा है।
प्रशिक्षण की रूपरेखा एनसीईआरटी द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई है। मॉड्यूल्स के माध्यम से प्रतिभागियों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि अंकेक्षण प्रक्रिया के दौरान किन महत्वपूर्ण बिंदुओं और मानकों का आकलन और सत्यापन करना है। इनमें विद्यालय का बुनियादी ढांचा, शैक्षिक वातावरण, छात्र-शिक्षक अनुपात, संसाधनों की उपलब्धता, वित्तीय प्रबंधन तथा समुदाय की(भागीदारी) जैसे पहलू शामिल होंगे। इस पहल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके निष्कर्षों एवं सिफारिशों को भविष्य में राज्य की शिक्षा नीतियों और सुधारात्मक कार्यक्रमों का आधार बनाया जाएगा। अंकेक्षण से प्राप्त डेटा और फीडबैक का उपयोग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, संसाधनों के कुशल आवंटन और कमियों को दूर करने के लिए कारगर कदम उठाने में किया जाएगा। डॉ. उदय कुमार उज्ज्वल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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