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दावा- क्या 2015 में ही चीन कर रहा था कोरोना पर रिसर्च; क्या तीसरे विश्वयुद्ध की तैयारी कर रहा चीन?

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कोरोना को चीन में ही तैयार किया गया है और ये मैन मेड वायरस हो सकता है, यह बात धीरे-धीरे और भी पुख्ता होती जा रही है. सबसे पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने चीन में साल 2015 में कोरोना पर रिसर्च होने का दावा किया था. अब अमेरिकी मीडिया ने भी अपनी रिपोर्ट में वायरस को लेकर बड़ा खुलासा किया है. अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने दुनिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बहुत जरूरी जानकारी छिपाई है.

China coronavirus outbreak: All the latest updates | Coronavirus pandemic News | Al Jazeera

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने WHO को बताया था कि वुहान में कोरोना का पहला केस 8 दिसंबर 2019 को मिला था. जबकि वायरस से संक्रमण का मामला इसके एक महीने पहले ही सामने आ गया था. चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के 3 रिसर्चर्स को नवंबर 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बीमारी के दौरान तीनों डॉक्टरों में कोरोना के लक्षण देखे गए थे. इसके बाद वुहान की लैब से वायरस के लीक होने का शक बढ़ गया है.

रिपोर्ट में बीमार पड़े रिसर्चर्स की संख्या, समय और उनके लक्षण भी बताए गए हैं. एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ये रिपोर्ट उनके एक अंतरराष्ट्रीय पार्टनर ने उपलब्ध कराई है. इसकी जांच होनी चाहिए. हो सकता है कि वुहान लैब के डॉक्टर रिसर्च करते समय बीमार हुए हों. हमें इस बारे में सटीक जानकारी मिली थी.

How Wuhan controlled Covid-19 | The Indian Express

कुछ समय पहले कोरोना वायरस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के टॉप मेडिकल एडवाइजर एंथनी फॉसी का बयान भी सामने आया था. उन्होंने कहा था कि वे नहीं मानते कि ये वायरस अपने आप पैदा हो सकता है. इसकी जांच की जानी चाहिए. कई देश WHO से कोरोना वायरस का चीनी लैब से संबंध होने की स्वतंत्र जांच कराने की मांग कर रहे हैं. इससे पहले जनवरी में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक फैक्ट शीट जारी की थी. इसमें कहा गया था कि वुहान लैब के रिसर्चर्स में कोरोना के लक्षण देखे गए थे.

China weaponising coronaviruses investigation 2015 US report Covid19 pandemic latest news | World News – India TV

इस दावे में दम क्यों हो सकता है?
अमेरिकी मीडिया की इस रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता. पिछले साल अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कोरोना को ‘चीनी वायरस’ कहा था. उन्होंने कहा था- यह चीन की लैब में तैयार किया गया और इसकी वजह से दुनिया का हेल्थ सेक्टर तबाह हो रहा है, कई देशों की इकोनॉमी इसे संभाल नहीं पाएंगी. ट्रम्प ने तो यहां तक कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और वक्त आने पर ये दुनिया के सामने रखे जाएंगे.

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Racist, Much? Donald Trump Just Called the Coronavirus Pandemic 'Chinese Virus'

बहरहाल, ट्रम्प चुनाव हार गए और बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने अब तक इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा. हालांकि ब्लूमबर्ग ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया था कि अमेरिका इस मामले में बहुत तेजी और गंभीरता से जांच कर रहा है.

Donald Trump suspects China released coronavirus in horrible lab 'mistake'

बताते चलें कि इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भी दावा किया था कि कोरोना वायरस 2020 में अचानक नहीं आया, बल्कि इसकी तैयारी चीन 2015 से कर रहा था. चीन की सेना 6 साल पहले से कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी. ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया था.

Chinese Scientists Discussed Weaponising Sars Coronaviruses 5 Years Before Covid Pandemic: Report - कुटिल चाल : क्या चीन का जैविक हथियार है कोरोना वायरस? 2015 से कर रहा था शोध - Amar Ujala Hindi News ...

रिपोर्ट में चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाया गया था. इसमें कहा गया है कि चीन 6 साल पहले से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक चीनी वैज्ञानिक और हेल्थ ऑफिसर्स 2015 में ही कोरोना के अलग-अलग स्ट्रेन पर चर्चा कर रहे थे. उस समय चीनी वैज्ञानिकों ने कहा था कि तीसरे विश्वयुद्ध में इसे जैविक हथियार की तरह उपयोग किया जाएगा. इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि इसमें हेरफेर करके इसे महामारी के तौर पर कैसे बदला जा सकता है.

Five years before pandemic, Chinese scientists discussed weaponising coronaviruses: Report - The Week

हर बार जांच से पीछे हट जाता है चीन
रिपोर्ट में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि जब भी वायरस की जांच करने की बात आती है तो चीन पीछे हट जाता है. ऑस्ट्रेलियाई साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रॉबर्ट पॉटर ने बताया कि ये वायरस किसी चमगादड़ के मार्केट से नहीं फैल सकता. यह थ्योरी पूरी तरह से गलत है. चीनी रिसर्च पेपर पर गहरी स्टडी करने के बाद रॉबर्ट ने कहा- वह रिसर्च पेपर बिल्कुल सही है. हम चीन के रिसर्च पेपर पर अध्ययन करते रहते हैं. इससे पता चलता है कि चीनी वैज्ञानिक क्या सोच रहे हैं.

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