देश भर में गर्मी का कहर जारी है. हालांकि मानसून के पहुंचने से कुछ इलाकों में अच्छी बारिश ने थोड़ी राहत दी है.
Patna Desk: ऐसा अनुमान है कि 10 से 15 जून के बीच मानसून भारत के आधे से ज्यादा हिस्से को कवर कर लेगा. इधर, केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में शुरू हो चुकी है तेज बारिश. पश्चिमी तटों पर तेजी से आगे बढ़ रहा मानसून. हालांकि, स्काईमेट वेदर की मानें तो बिहार, यूपी, झारखंड, बंगाल समेत पूर्वी भागों में मानसून पहुंचने में थोड़ी और देरी हो सकती है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में आज गरज चमक के साथ बारिश होने की संभावना है.
इसी के साथ आपको बता दें, मौसम को लेकर शनिवार को बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग ने अलर्ट जारी किया था. आपदा विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए कहा था कि इसके तहत बिहार के कुछ हिस्सों में भारी वज्रपात की गिरने की आशंका हैं. जिन जिलों को चेतावनी दी गई थी उसमें सुपौल, मधुबनी, मधेपुरा, सहरसा और समस्तीपुर शामिल था. मधुबनीसदर, पंडौल, फुलपरास, घोघरडीहा खुटौना, लौकही, झंझारपुर, अन्धराठाढ़ी, लखनपुर, मधेपुर में भी वज्रपात की आशंका जताई गई थी. वहीं, समस्तीपुर के कल्याणपुर, बिथान, सिंघिया, कल्याणपुर, शिवाजीनगर, पटोरी, मोहनपुर में अलर्ट जारी किया गया था.
आपको बता दें इस वक्त बिहार के कुछ जिलों में उमस भरी गर्मी है जिसकी वजह से लोगों का हाल बेहाल हैं. हालांकि बिहार में इसके अब दो-तीन दिन देरी से 15 जून के बाद आने की संभावना है. मानसून की बारिश महाराष्ट्र में शुरू हो गई है. बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग में मानसून की सक्रियता काफी बढ़ गई है.
मौसम वैज्ञानिक अमित सिन्हा ने बताया कि विगत 24 घंटों के दौरान मौसम शुष्क रहा, हालांकि बिहार के पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम भाग में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश दर्ज की गई. बिहार में मौसम की स्थिति शुष्क बनी हुई है. अधिकतम तापमान सामान्य से 2 से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया जा रहा है. जिस वजह से राज्य में गर्मी काफी बढ़ती जा रही है.
दक्षिण पश्चिम मानसून के अगले दस दिनों में ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों और बिहार में पहुंचने का अनुमान है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून मध्य अरब सागर, कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों, गोवा, महाराष्ट्र के कुछ हिस्से, कर्नाटक के अंदरूनी हिस्से, तेलंगाना के कुछ हिस्से और आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, मध्य बंगाल की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी के पूर्वोत्तर हिस्सों तक पहुंच चुका है.